जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने कहा है कि लॉकडाउन अवधि के दौरान स्कूल की फीस माफ नहीं की जाएगी। कोर्ट ने गुरुवार को फीस माफ करने का आदेश देने से इनकार कर दिया। हालाँकि, पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई अभिभावक समय पर शुल्क जमा करने में असमर्थ है, तो स्कूल किसी भी परिस्थिति में बच्चे का नाम स्कूल से नहीं काट सकता। अदालत ने यह आदेश याचिका की सुनवाई करते हुए दिया, जिसे वकील राजीव भूषण बंसल ने दायर किया था।
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने न्यायमूर्ति सबीना और न्यायमूर्ति चंद्र कुमार सोंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद जनहित याचिका का निपटारा किया। बंसल ने अपनी जनहित याचिका में कहा कि तालाबंदी के कारण अभिभावक स्कूल की फीस का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। व्यवसाय बंद हैं और लोग वित्तीय संकट से गुजर रहे हैं। चूंकि निजी स्कूल गैर-ऑपरेशनल हैं, इसलिए कोर्ट को स्कूलों द्वारा शुल्क वसूली पर रोक लगाना चाहिए।
राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) गणेश मीणा ने कहा कि इस साल 9 अप्रैल को राज्य ने पहले ही निजी स्कूलों के शुल्क के भुगतान को तीन महीने के लिए निर्धारित करते हुए नीतिगत निर्णय कर दिया है। इसके अलावा, यह सूचित किया गया था कि शुल्क का भुगतान नहीं करने के कारण छात्रों के नाम स्कूल से नहीं काटे जाएंगे। न्यायालय ने एएजी द्वारा किए गए सबमिशन को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाया कि आगे के लिए कोई आधार नहीं है।