नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी सरकार से एक स्कूल की उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें उसने आर्थिक संकट के कारण फीस नहीं दे पाने वाले छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं के लिए आईडी और पासवर्ड से वंचित नहीं करने के सभी स्कूलों को जारी सरकार के परिपत्र को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति जयंत नाथ ने दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय (डीओई) को नोटिस भेजा और उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें 18 अप्रैल के उसके परिपत्र को चुनौती दी गई है।
परिपत्र में कहा गया है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लागू लॉकडाउन में अभिभावकों से केवल ट्यूशन फीस ही जाएगी। उच्च न्यायालय ने आठ जुलाई के अपने आदेश में निजी स्कूलों को ऑनलाइन शिक्षा सुविधा के लिए आईडी और पासवर्ड देने से इनकार करने से पहले कुछ नियमों का पालन करने को कहा था। इसमें कहा गया था कि इस तरह की सुविधा देने से केवल उन्हीं छात्रों को इनकार किया जा सकता है जिन्होंने कोई आर्थिक संकट नहीं होने के बावजूद फीस नहीं दी है।
निजी स्कूल की तरफ से पेश हुए वकील रोमी चाको की दलीलें सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने स्कूल को पहले उन अभिभावकों को नोटिस जारी करने के लिए कहा जिन्होंने दो महीने से अधिक समय से फीस नहीं दी है और उन्हें इसके लिए उन्हें कारण बताने को भी कहा। चाको के माध्यम से दायर याचिका में स्कूल ने तर्क दिया कि परिपत्र के प्रावधानों का ‘‘अनुचित लाभ’’ उठाते हुए लगभग 40 प्रतिशत छात्र ट्यूशन फीस नहीं दे रहे हैं जिसके कारण संस्था को घोर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है,जो शिक्षकों और अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए संघर्ष कर रहा है।