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डीबीटी के जरिये जनजातीय छात्र और छात्राओं को दी जा रही छात्रवृत्ति

केंद्रीय जनजाति कल्याण मंत्रालय ने पिछले एक वर्ष में उल्लेखनीय काम किया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 01, 2020 15:13 IST
arjun munda- India TV Hindi
Image Source : GOOGLE arjun munda

नई दिल्ली। केंद्रीय जनजाति कल्याण मंत्रालय ने पिछले एक वर्ष में उल्लेखनीय काम किया है। इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सतत मार्गदर्शन मिलता रहा है।पिछले एक साल की मंत्रालय की उपलब्धियों का बखान करते हुए जनजातीय कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने आईएएनएस से कहा कि जनजातीय मंत्रालय गुड गवर्नेस के सिद्धांत पर काम कर रही है और देश के आदिवासी समाज के उत्थान में कृत संकल्प है। उन्होंने कहा कि गुड गवर्नेस के आधार पर मंत्रालय के कामकाज में जिम्मेदारी ए पारदर्शिता लायी गयी है, जिससे मंत्रालय में काम और कार्यक्रम प्रामाणिक तौर पर सफल रहे हैं।

मुंडा ने कहा कि मंत्रालय ने इस संदर्भ में 'दिशा' पोर्टल लॉन्च किया है जिससे मंत्रालय की सभी कल्याणकारी कामों की निगरानी की जा सके। इसके जरिये मंत्रालय समय समय पर आदिवासी युवा, युवतियों और जनप्रतिनिधियों के लिए कैपेसिटी बिल्डिंग का भी काम करती रही है।केन्द्रीय जनजातीय कल्याण मंत्री ने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में जनजातीय लोगों को बचाने और वन्य जीव उत्पाद को उचित मूल्य मिले इस पर फोकस किया गया। इस संदर्भ में सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया और नोडल अधिकारी राज्यों में नियुक्त किये गए।

मुंडा ने कहा कि जनजातीय कार्य मंत्रालय दूसरे मंत्रालय के सहयोग से आदिवासी क्षेत्रों में ढांचागत विकास पर जोर दे रही है। इस क्षेत्र में सड़क, पुलिया के निर्माण के साथ साथ ही आवागमन के साधन भी विकसित करने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में सिंचाई के साधन विकसित करने और लाइटिंग की समुचित व्यवस्था करने पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019.20 में 16 हजार करोड़ रुपये सिर्फ इस मद में खर्च किये गये।

ये पूछे जाने पर कि आदिवासी लोगों के शैक्षणिक विकास के लिए क्या क्या उपाय किये गये हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार जनजातीय छात्रों को पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दे रही है। अकेले 2019-20 में 5 योजनाओं के तहत ढाई हजार करोड़ रुपये छात्रवृत्ति के रूप में छात्रों के अकाउंट में ट्रांसफर किये गये। उन्होंने कहा कि जनजाति कल्याण मंत्रालय पहला मंत्रालय है, जो छात्रों को प्री और पोस्ट मैट्रिकुलेशन स्कॉलरशिप दे रही है। उन्होंने कहा कि इसी तरह देशभर के 331 विश्वविद्यालयों में 4794 से अधिक आदिवासी छात्र छात्राओं को स्कॉलरशिप डीबीटी के माध्यम से दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी के इस दौर में 49 वन्य उत्पाद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है, ताकि वन्य सम्पदा संग्राहकों को फायदा हो। इसके साथ ही देश भर मे 150 करोड़ की लागत से 1125 वन धन केन्द्र की देश भर में स्थापना की जा रही है। साथ ही जनजातीय मंत्रालय ट्राईफेड के जरिये सीआईआई, फिक्की और एसोचैम के जरिये आदिवासी जनता को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से वन्य जीवन उत्पाद को बाजार उपलब्ध कराने की कोशिश कर रही है।

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