नई दिल्ली। शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान बनाने वाले व नोबेल पुरस्कार जीतने वाले शिक्षाविदों को भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों में आमंत्रित किया जाएगा। यह निर्णय, शैक्षणिक महत्व के वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त संस्थानों का दायरा बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने सोमवार को सार्वजनिक और निजी संस्थाओं की प्रगति की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस समीक्षा बैठक में उन संस्थानों को शामिल किया गया, जिन्हें यूजीसी और एन. गोपाल स्वामी के नेतृत्व में अधिकार प्राप्त विशेषज्ञ समिति की सलाह पर प्रतिष्ठित संस्थानों का दर्जा देने के बारे में विचार किया गया है।
मंत्रालय ने फैसला लिया है कि संस्थान उच्च शिक्षा के भारतीय संस्थानों और शैक्षणिक महत्व के वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त संस्थानों का दायरा बढ़ाने और उसे गहरा करने के लिए नोबल पुरस्कार विजेताओं, शिक्षाविदों, प्रोफेसरों, विदेशी विभागाध्यक्षों को भारतीय शैक्षणिक संस्थानों की यात्रा के लिए आमंत्रित करेगा।बैठक में मंत्रालय में सचिव अमित खरे और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। बैठक के उपरांत मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा, "प्रतिष्ठित संस्थान योजना के अंतर्गत पहचाने गए सभी संस्थान एक नए और बेहतर भारत के निर्माण की आधारशिला हैं। उन्हें उत्कृष्टता की ओर ले जाने वाली नई पीढ़ी की अगुवाई करनी है।"
उन्होंने कहा, "हमारी सरकार देश के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर विशेष ध्यान देगी, खासतौर से अनुसंधान और नवोन्मेष के क्षेत्र में। इन संस्थानों को ग्लोबल रैंकिंग में अपनी स्थिति सुधारने और वैश्विक स्तर पर संस्थान को उत्कृष्टता का केंद्र बनाने के लिए कठोर परिश्रम करना होगा।"मानव संसाधन विकास मंत्री ने इन संस्थानों में बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन की स्थिति की समीक्षा की और उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले अध्यापन और अनुसंधान तथा ज्ञान को बढ़ाने के लिए मंत्रालय की ओर से अधिकतम सहयोग देने का आश्वासन दिया।
बैठक के दौरान इन संस्थानों को अधिकार संपन्न बनाने और उन्हें विश्वस्तरीय अध्यापन और अनुसंधान संस्थान बनाने में मदद करने के लिए किए गए विभिन्न फैसले लिए गए हैं। वर्ष 2019-2020 के लिए इन संस्थानों को दी जाने वाली पूरी बकाया राशि और नई निधि का वर्तमान वित्तीय वर्ष में भुगतान किया जा सकता है। रिसर्च जनरल्स को पहुंच देने के लिए समूची संरचना की समीक्षा की जाएगी और प्रतिष्ठित संस्थान के अंतर्गत संस्थानों को खुली पहुंच प्रदान की जा सकती है। इन संस्थानों की प्रगति की निगरानी और उनके द्वारा हाथ में लिए गए कार्यों के लिए एक परियोजना निगरानी इकाई स्थापित की जाएगी। ये संस्थान ग्रामीण भारत में निरंतर विकास के लिए उन्नत भारत योजना के अंतर्गत आदर्श गांव को अपना सकते हैं और विकसित कर सकते हैं।