नई दिल्ली। शिक्षा के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भारत की नई शिक्षा नीति को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप माना है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोनोवायरस महामारी और वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद यह बहु-अनुशासनात्मक तरीकों को बढ़ावा देने वाली नीति है। इस शिक्षा नीति से रोजगार प्लेटफॉर्म पर भारत में कौशल को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। व्हीबेक्स की नवीनतम इंडिया स्किल रिपोर्ट 2020 कहती है, "उम्मीदवार स्क्रीनिंग करते समय कौशल, ज्ञान, पर्यावरण के लिए अनुकूलता, चपलता और सकारात्मक दृष्टिकोण देखते हैं। उपलब्ध प्रतिभा की गुणवत्ता के संदर्भ में, 42 प्रतिशत नियोक्ता कहते हैं कि अधिकांश नौकरी चाहने वाले आवश्यकता को पूरा करते हैं।"
एशिया पैसिफिक जीयूएस के सीईओ शरद मेहरा ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 'प्रगतिशील' की संज्ञा देते हुए कहा, "34 वर्षों के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा यह नीति राष्ट्र के लिए एक गेम-चेंजर है। यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में प्रतिभा वाले युवा पेशेवरों को तैयार करेगी। मल्टी-डिसिप्लिनरी लनिर्ंग, वर्कप्लेस और लाइफ स्किल्स को बढ़ाने का काम होगा। नई शिक्षा नीति में टीमवर्क, सहयोग, अनुकूलनशीलता और चुनौतियों से जल्द निपटने की क्षमता। हम भारतीय छात्रों में इन अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए बहुत अधिक संभावनाएं देखते हैं।"
एचआर भर्ती फर्म माचिर्ंग शीप में प्रबंध भागीदार सोनिका एरन ने कहा, "समग्र शिक्षा की इस प्रवृत्ति ने पहले से ही संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और शेष दुनिया के अलावा फिनलैंड, नॉर्वे जैसे स्कैंडेवियन देशों में सफलता देखी है। भारत ने अपने अनुसंधान, डिजिटल क्रांति और नवाचार पर जोर दिया है। साथ ही, उद्योग के बीच विश्वास है कि नई नौकरी के अवसर भी कौशल प्रशिक्षण से बढ़ें।"
विशेषज्ञों का मानना है कि नई शिक्षा नीति निश्चित रूप से कौशल को बढ़ावा देगी जिसकी न केवल दुनिया भर में मांग में हैं, बल्कि भारतीय कार्यस्थलों में भी आवश्यकता बढ़ रही है। पहले से ही वर्चुअल इंटर्नशिप, सॉफ्ट स्किल्स की जरूरत को पूरा कर रहे हैं।
शरद मेहरा ने कहा, "ये घटनाक्रम स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं कि युवाओं को नौकरी देने की प्रक्रिया में सिर्फ डिग्री को नहीं देखा जाएगा, इसमें एक बदलाव आएगा। संचार कौशल, सहानुभूति, अन्य लोगों के लिए संवेदनशीलता के आधार पर उम्मीदवारों का आकलन किया जाएगा।"