नई दिल्ली। नागरी लिपि परिषद ने नई शिक्षा नीति 2०2० का समर्थन करते हुए शनिवार को कहा कि इसे लागू करने का दायित्व राज्य सरकारों और सामाजिक संगठनों का है। परिषद के महासचिव डॉक्टर हरिसिंह पाल ने यहां एक बयान में कहा कि नागरी लिपि परिषद समग्रता में सिद्धांतत: सरकार की नई शिक्षा नीति 2020 का भरपूर स्वागत और समर्थन करती है। वस्तुत: शिक्षा संविधान की समवतीर् सूची में शामिल है। भाषा और लिपि राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में हैं। केंद्र सरकार शिक्षा नीति तो बना सकती हैं लेकिन उनके कायार्न्वयन का दायित्व राज्य सरकारों पर है। उन्होंने कहा कि यदि यह शिक्षा नीति शत-प्रतिशत रूप में लागू की जाती है तो निश्चय ही क्रांतिकारी परिवर्तन संभव हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को लागू करने में समाज और सामाजिक संगठनों का भी व्यापक दायित्व है।
उन्होंने सभी सामाजिक संगठनों से नई शिक्षा नीति को सही अथोर्ं में ग्रहण करने और इसे लागू करने का आह्वान किया। डॉक्टर पाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति के विषय में जिन विद्वानों ने आपत्तियां और चिंताएं व्यक्त की है उन पर सरकार को सकारात्मकता से विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैसे भी हमारे विविधताओं से भरपूर राष्ट्र में किसी एक विचार पर सवार्नुमति संभव नहीं है। यही हमारे लोकतंत्र की खूबी है कि हम विभिन्न माध्यमों से अपने अपने विचार रखने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा कि फिर भी विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं में अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता के स्थान पर भारतीय भाषाओं को मान्यता देने की अपेक्षा की ही जा सकती है।