नई दिल्ली। देशभर के छात्र-छात्राएं ऐसे उपायों की खोज करेंगे, जिनसे कि सरकारी एजेंसियों, स्वास्थ्य सेवाओं, अस्पतालों एवं अन्य सेवाओं को असमय आई चुनौतियों का त्वरित समाधान उपलब्ध करवाया जा सके। समाधान सुलझाने वाले छात्रों और अध्यापकों को 2 लाख रुपये के नगद पुरस्कार दिए जाएंगे। छात्र-छात्राओं में नई खोज करने की क्षमता को परखने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने यह एक नया कार्यक्रम शुरू किया है। मंत्रालय के इनोवेशन सेल एवं अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् ने फोर्ज और इनोवेशिओक्यूरिस के साथ मिलकर एक मेगा ऑनलाइन चैलेंज समाधान की शुरुआत की है।
इस चैलेंज में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं के साथ ही अध्यापकों को भी पुरस्कृत करने का फैसला किया गया है। 2 लाख के यह पुरस्कार एआईसीटीई के द्वारा दिए जाएंगे। समाधान योजना के लिए प्रायोजकों को भी आमंत्रित किया गया है। प्रायोजक मिलने पर पुरस्कार की राशि 5 या फिर 10 लाख रुपये तक भी बढ़ाई जा सकती है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा, "समाधान चैलेंज के द्वारा नागरिकों को जागरूक बनाने का, किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए प्रेरित करने का, किसी भी संकट को रोकने का और लोगों को आजीविका दिलवाने में सहायता करने का काम भी किया जाएगा।"
निशंक ने छात्रों से इस मुहिम के साथ जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "समाधान चैलेंज के अंतर्गत छात्र-छात्राओं और फैकल्टी के लोगों को नए प्रयोग एवं नई खोज के लिए प्रेरित करना और उनको उस प्रयोग या खोज का परिक्षण करने के लिए एक मजबूत बेस उपलब्ध करवाना है।"
इस कार्यक्रम की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि इसमें भाग लेने वाले प्रतियोगियों के विचार कितने प्रभावशाली हैं जो तकनीकी एवं व्यावसायिक रूप से ऐसे समाधान निकालें जो कि कोरोनावायरस जैसी महामारी से लड़ने में मदद करे।
इस प्रतियोगिता के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 14 अप्रैल है। इस प्रतियोगिता में आगे जाने वाले प्रतिभागियों के नाम 17 अप्रैल को घोषित की जाएगी और आगे जाने वाले प्रतिभागियों को अपनी प्रविष्टियां 18 से 23 अप्रैल के बीच में जमा करनी होगी। आखरी सूची 24 अप्रैल को जारी की जाएगी। इसके बाद 25 अप्रैल को ग्रैंड ऑनलाइन ज्यूरी अपना निर्णय लेगी।