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ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में कोविड-19 के टीके के खुद पर परीक्षण के लिये आगे आईं सूक्ष्मजीव विज्ञानी

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में वैज्ञानिकों के एक समूह ने कोरोना वायरस का एक टीका विकसित किया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : April 24, 2020 19:04 IST
microbiologists come to oxford university to test...
microbiologists come to oxford university to test themselves for covid 19 vaccine 

नई दिल्ली। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में वैज्ञानिकों के एक समूह ने कोरोना वायरस का एक टीका विकसित किया है। मानव पर परीक्षण किये जाने के चरण में यह टीका सबसे पहले एक सूक्ष्मजीव विज्ञानी  (माइक्रोबायोलॉजिस्ट) को लगाया गया है। इस महत्वपूर्ण परीक्षण के लिये शुरूआती दौर में शामिल किये गये 800 लोगों में सूक्ष्मजीव विज्ञानी एलिसा ग्रांताओ पहली स्वयंसेवी है। उम्मीद है कि इस चिकित्सीय परीक्षण से दुनिया को जानलेवा कोरोना वायरस का एक टीका मिल जाएगा और लॉकडाउन हटाने में भी मदद मिलेगी।

ग्रांताओ ने बीबीसी से कहा, ‘‘मैं एक वैज्ञानिक हूं, इसलिए मैं वैज्ञानिक प्रक्रिया में मदद करना चाहती हूं, जहां तक मैं कर सकती हूं।’’ इस हफ्ते टीके का परीक्षण शुरू होने पर उन्हें ऑक्सफोर्ड में यह टीका लगाया गया। उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि मैंने वायरस का अध्ययन नहीं किया है इस वजह से मुझे आजकल बहुत बेकार सा महसूस हो रहा था। इसलिए मुझे लगा कि इस उद्देश्य के लिये मदद करने का मेरे पास यही सबसे आसान तरीका है। ’’ उन्हें उनके 32 वें जन्म दिन पर यह टीका लगाया गया। इस कवायद में ग्रांताओ के साथ कैंसर पर शोध करने वाले एडवर्ड ओ नील भी हैं।

ये दोनों ऐसे प्रथम दो व्यक्ति हैं जिनमें से एक पर कोविड-19 टीके का परीक्षण किया जा रहा जबकि दूसरे पर एक नियंत्रणकारी टीके का जो मैनिन्जाइटिस (दिमागी बुखार) के खिलाफ बचाव करता है। परीक्षण के प्रभावों का अवलोकन करने के लिये अब उनकी 48 घंटों तक निगरानी की जाएगी। इसके बाद वैज्ञानिक क्रमिक रूप से अन्य स्वयंसेवियों, 18 से 55 साल के स्वस्थ व्यक्ति, पर इसी तरह आधी-आधी प्रक्रिया के साथ परीक्षण शुरू करेंगे। इस शोध का नेतृत्व कर रहीं ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के जेनर संस्थान के टीकाविज्ञान विभाग की प्राध्यापक सारा गिलबर्ट ने कहा, ‘‘व्यक्तिगत रूप से इस टीके पर मुझे अत्यधिक भरोसा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बेशक, हमें इसका परीक्षण करना होगा और आंकड़े लेने होंगे।

हमें यह प्रदर्शित करना होगा कि यह वास्तव में काम करता है और लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने बचाता है, जिसके बाद आबादी के बड़े हिस्से में टीके का उपयोग किया जा सकेगा।’’ उन्होंने कहा कि वह परीक्षण के नतीजों को लेकर बहुत आशावादी हैं। मानव पर किये जाने वाले परीक्षण का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या कोविड-19 के संक्रमण से इस नये टीके के जरिये स्वस्थ लोगों को बचाया जा सकता है। यह टीके के सुरक्षा पहलू और जानलेवा वायरस के खिलाफ शरीर की अच्छी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा करने की क्षमता के बारे में भी महत्वपूर्ण सूचना प्रदान करेगा।

 

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