नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) और दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद (एसी) व कार्यकारी परिषद (ईसी) में नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) के चुने हुए प्रतिनिधियों ने दिल्ली सरकार द्वारा अपने वित्त पोषित कॉलेजों में कई महीने बाद जारी किए गए अनुदान (ग्रांट) को नाकाफी बताते हुए हैरानी और अप्रसन्नता व्यक्त की है। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने कई महीने से अपने पूर्ण वित्त पोषित दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध 12 कॉलेजों की ग्रांट जारी करने पर रोक लगाई हुई थी जिसके कारण इन कॉलेज के शिक्षकों और कर्मचारियों को कई महीने से वेतन नहीं मिल पा रहा था।
एनडीटीएफ महासचिव डॉ. वीएस नेगी कहा, "जो आंशिक ग्रांट सरकार ने जारी की है उसमें शिक्षक व कर्मचारियों के जनवरी-फरवरी महीने के वेतन का ही भुगतान संभव है। मार्च के वेतन के भुगतान पर एक बार फिर से अनिश्चितता की तलवार लटक सकती है।"
ग्रांट की समस्या पर डूटा द्वारा 3 महीने से साधी गई चुप्पी पर हैरानी जताते हुए डॉ. वीएस नेगी कहा, "डूटा पदाधिकारी ग्रांट रिलीज कराने पर निरंतर सक्रिय होने की बजाय दिल्ली सरकार के पक्ष का समर्थन करते हुए ग्रांट को प्रबंध समिति के गठन से जोड़कर देख रहे हैं जो कि अपने आप में बहुत ही हैरानी भरा और दुर्भाग्यपूर्ण कदम है।"
एनडीटीएफ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार भागी ने कहा, "शिक्षक और कर्मचारियों की वेतन से जुड़ी ग्रांट का प्रबंध समिति के गठन से कोई संबंध नहीं है। वेतन से जुड़ी सरकारी ग्रांट को प्रबंध समिति के गठन की शर्तो से जोड़ना भविष्य के लिए खतरनाक होगा।"डॉ. अजय कुमार भागी ने इस पूरी प्रक्रिया पर रोष प्रकट करते हुए कहा, "अकादमिक प्रशासन चलाने के लिए वित्तीय संकट खड़ा करना शैक्षणिक माहौल के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।"