ग्वालियर। वैश्विक महामारी कोरोना से देश की जंग जारी है। लोग सोशल डिस्टेनसिंग का खास ख्याल रख रहे हैं लेकिन रोजमर्रा के कामकाज पर प्रभाव न पड़े, इसका भी ध्यान रखा जा रहा है। छात्र-छात्राओं के दैनिक पठन पाठन के लिए एलएनआईपीई के शिक्षकों ने भी इसका रास्ता निकाल लिया है। अब यहां ई-क्लास के जरिये शिक्षक और छात्र प्रतिदिन रूबरू हो रहे हैं। यूजीसी और खेल मंत्रालय की तरफ से क्लासेज बंद होने के बाद छात्रों को स्टडी मटेरियल ऑनलाइन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे। कुलपति प्रो. दिलीप कुमार डुरेहा ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए शिक्षकों की बैठक में सुझाव रखा कि शिक्षकों और छात्रों के रूबरू होने का कोई रास्ता निकाला जाएं, ताकि छात्र टॉपिक की पढ़ाई के दौरान ही अपनी जिज्ञासाओं को शांत कर सकें। इसका जवाब ई-क्लास के रूप में सामने आया।
एलएमएस से दिया जा रहा स्टडी मटेरियलहाल में ही तैयार कराए गए संस्थान के एलएमएस (लनिर्ंग मैनेजमेंट सिस्टम) पर छात्रों की दैनिक उपस्थिति और स्टडी मटेरियल अपलोड करने का काम भी जारी था और पिछले दो महीने से छात्रों को यही से सारा स्टडी मटेरियल उपलब्ध कराया जा रहा है। ई-क्लास के लिए जूम एप की सहायता ली गई।
एक ही सेशन में साथ पढ़ रही पूरी क्लासजूम एप पर एक आईडी बनाकर सभी छात्रों को इसकी जानकारी दे दी गयी। क्लास के समय सभी ऑनलाइन आए और मोबाइल या लैपटॉप के जरिये सेशन में भाग लिया। एक फीचर के जरिये इस एप पर डायग्राम, पीपीटी और ग्राफिक्स के जरिये भी छात्रों को टॉपिक समझाया जा सकता है। खास यह भी कि इस एप पर एक बार में 100 लोग ऑनलाइन चैटिंग कर सकते हैं, इसे क्लाउड मीटिंग कहा जाता है। इस तरह एक ही सेशन में पूरी क्लास एक साथ अपने टॉपिक की पढ़ाई कर सकती है और छात्र बारी-बारी सवाल भी पूछ सकते हैं।
एलएमएस पर स्टडी मटेरियल, जूम पर क्लास इस नई तकनीक की मदद से सोशल डिस्टेनसिंग रखते हुए एलएनआईपीई के सभी छात्र अपने घरों में बैठकर आसानी से और विशेषज्ञों की देखरेख में पढ़ाई कर रहे हैं। एलएमएस से स्टडी मटेरियल लेने के बाद वह ई-क्लास में शिक्षकों से टॉपिक की वृहद जानकारी ले रहे हैं।
जूम के अलावा ही कुछ शिक्षक कुछ नए सॉफ्टवेयर पर भी ई-क्लास लेने की तैयारी कर रहे हैं। प्रभारी रजिस्ट्रार प्रो. एम. के. सिंह के साथ ही प्रो. जोसेफ सिंह, प्रो. इंदु वोरा, प्रो. के. के. साहू, डॉ. यतेन्द्र सिंह, डॉ. मनोज साहू, डॉ. गायत्री पांडेय, डॉ. अमर, बिपिन दुबे और प्रखर राठौर भी ऐसी कक्षाओं में अपने छात्रों से रूबरू हैं। उन्होंने बताया कि आधे घंटे चलने वाले एक सेशन में छात्रों की पढ़ाई और रिवीजन दोनों कराया जा रहा है।