राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यापयन परिषद (नैक) द्वारा हाल ही में जारी सूची में देश के मशहूर खेल प्रशिक्षण संस्थान और डीम्ड यूनिवर्सिटी लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान (एलएनआईपीई) को पहले पायदान पर रखा गया है। नैक यूजीसी की स्वायत्त संस्था है। सूची में दूसरे और तीसरे पायदान पर क्रमश: मुंबई के इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी व दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय रहे हैं।
नैक से हासिल उस अविस्मरणीय उपलब्धि का श्रेय, एलएनआईपीई के कुलपति प्रो. दिलीप कुमार डुरेहा ने विवि के हर शिक्षक-कर्मचारी और विद्यार्थी को दिया है। इस अवसर पर विवि में अपनो को संबोधित करते हुए विवि के कुलपति प्रो. दिलीप कुमार डुरेहा ने कहा, "अगर आप सब दिन-रात कठोर परिश्रम न करते, तो शायद 'नैक' जैसी सम्मानित स्वायत्त संस्था से इतना बड़ा सम्मान मिलना दूर की कौड़ी भी हो सकता है।
मुझे विश्वास है कि आने वाले वक्त में भी स्टाफ-विद्यार्थियों की कड़ी मेहनत नैक की सूची में इसी तरह पहले पायदान पर निरंतर दर्ज होती रहेगी।" एलएनआईपीई के प्रवक्ता अभिषेक त्रिपाठी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "नैक की सूची में लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान, ग्वालियर को 'ए-डबल-प्लस' रेटिंग के साथ 3.79 सीजीपीए प्राप्त हुए हैं। जबकि दूसरे व तीसरे नंबर पर रहे संस्थानों को 3.77 सीजीपीए दिया गया है।"
उल्लेखनीय है कि, 'नैक' हिंदुस्तान की इकलौती वो स्वायत्त संस्था है जो, देश के शिक्षण संस्थानों का मूल्यांकन वहां की शिक्षण प्रणाली, सुविधाओं, वातावरण इत्यादि के आधार पर करती है। किसी भी शिक्षण संस्थान को इस सूची में प्रथम, द्वितीय व तीसरे पायदान पर आने के लिए एक कठिन प्रक्रिया कहिये या फिर परीक्षा, से गुजरना पड़ता है।
इस उपलब्धि पर बात करते हुए एलएनआईपीई के कुलपति प्रो. दिलीप कुमार डुरेहा ने आगे बताया, "यूनिवर्सिटी में चल रहे कामकाज और सुविधाओं के मद्देनजर मुझे उम्मीद थी कि, नैक की सूची में हम पहले की ही तरह पहले पायदान पर अपना कब्जा बरकरार रख पाने में कामयाब होंगे। हालांकि, सूची जारी नहीं होने तक चिंता जरूर थी। अब जब नैक की सूची में हम पहले पायदान पर फिर खड़े हो चुके हैं, तो कल तक की हमारी अपनी चिंता ही, आज हमारे विश्वास में बदल चुकी है।"
कुलपति प्रो. दिलीप कुमार डुरेहा ने अपने संबोधन में कहा, "नैक की सूची में फिर से प्रथम पायदान पर तो आ गए हैं, लेकिन आइंदा भी इस सम्मान को बरकरार रखने के लिए हमें निरंतर कड़ी मेहनत-तपस्या करनी होगी। यह सब एलएनआईपीई के एक एक कर्मचारी और विद्यार्थी के कठोर तप से ही संभव होगा।"