नई दिल्ली। कोरोना वायरस के वैश्विक संकट और इस तरह की महामारी की भविष्य में पुनरावृत्ति को रोकने के उपायों पर अमेरिका स्थित हार्वर्ड विश्वविद्यालय में शोध के लिये भारत से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी डा.मृणालिनी दर्शवाल को चुना गया है। ओडिशा केडर की 2002 बैच की अधिकारी डा.दर्शवाल कोरोना पर पहले से ही हार्वर्ड विश्वविद्यालय के ‘टी एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ में अध्ययनरत हैं।
हाल ही में कोरोना संकट से निपटने की वैश्विक रणनीति पर उनका शोध पत्र भी प्रकाशित हुआ है। डा.दर्शवाल ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा हर साल लोक स्वास्थ्य पर शोध कार्य के लिये दुनिया भर से सात से 12 विशेषज्ञों को इस प्रतिष्ठित शोधकार्य के लिये चुना जाता है। कोरोना संकट पर उनके अध्ययन को देखते हुये उन्हें कोरोना जैसी महामारियों से भविष्य में सामना करने की वैश्विक रणनीति पर शोध के लिये चुना गया है।
उन्होंने बताया कि लोक स्वास्थ्य में डाक्टरेट की उपाधि से जुड़े इस शोध को तीन साल की अवधि में पूरा करना होगा। डा.दर्शवाल ने बताया कि उनके शोध का मुख्य विषय क्या होगा, यह शोध कार्य शुरु होने से पहले बताया जायेगा। डा.दर्शवाल ने चिकित्सा स्नातक (एमबीबीएस) की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रशासनिक सेवा का रुख किया था। वह दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में विशेष सचिव और दिल्ली की औषधि नियंत्रक रह चुकी है।
फिलहाल वह अध्ययन अवकाश पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय में महामारियों के प्रभाव और इनसे निपटने के उपायों पर शोध कर रही है। कोरोना संकट पर मार्च के अंतिम सप्ताह में प्रकाशित उनके शोध पत्र में भारत को आगाह किया गया था कि इस महामारी से निपटने में सरकार से बड़ी जिम्मेदारी भारतीय नागरिकों की है। उन्होंने कहा था कि अगर भारत में कोरोना संक्रमण तीसरे चरण में प्रवेश करता है तो इसके बेहद गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।