बेंगलुरु। कर्नाटक सरकार ने सभी मकानमालिकों को चेतावनी दी है कि वो कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते अपने यहां किराए पर रह रहे चिकित्सा क्षेत्र के लोगों को घरों से न निकालें। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अतिरिक्त प्रमुख सचिव जावेद अख्तर ने डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और चिकित्साकर्मियों के बचाव में आदेश दिया है, "कानूनी प्रावधानों के तरहत ऐसे मकानमालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।"
अख्तर ने जिला उप आयुक्तों, बेंगलुरु के नगर निगम आयुक्त, पुलिस और राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों को यह आदेश जारी किया है। उन्होंने कहा, "कर्नाटक राज्य के विभिन्न हिस्सों से लगातार डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और चिकित्साकर्मियों की ओर से ये शिकायतें आ रही थीं कि उनके मकानमालिक उन पर घर खाली करने के लिए दबाव बना रहे हैं।"
अख्तर के अनुसार, मकानमालिकों का ऐसा व्यवहार जनता की सेवा में लगे लोगों के काम में बाधा बन रहा है।वरिष्ठ नौकरशाह ने इस वायरस की रोकथाम के लिए महामारी रोग अधिनियम, 1897 और हैदराबाद संक्रामण रोग अधिनियम, 1950 के तहक कर्नाटक महामारी (कोविड-19) अधिनियम, 2020 लागू कर दिया है।
राज्य के अधिकारियों के पास ये शक्ति है कि वो इस महामारी से लड़ने के लिए काम कर रहे लोगों को निकालने वाले मकानमालिकों के खिलाफ कार्रवाई कर सकें। इसी तरह, बेंगलुरु पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने कहा कि पेइंग गेस्ट और हॉस्टल संचालक भी वहां रहे छात्रों, कामकाजी लोगों और अन्य लोगों को इस दौरान सुविधाओं से वंचित नहीं कर सकते हैं।
राव ने ट्वीट किया, "यदि पेइंग गेस्ट और हॉस्टल संचालक अपने यहां रह रहे लोगों को जाने के लिए कहते हैँ तो यह अवैध होगा। उन्हें भोजन भी उपलब्ध कराना होगा, वरना उनके खिलाफ मुकदमा चलेगा।"बेंगलुरु एक शैक्षणिक केन्द्र है, वहां पूरे देश से हजारों स्टूडेंट पहुंचते हैं। जो कि वहां अस्थाई आवासों जैसे कि निजी हॉस्टलों और पेइंग गेस्ट सुविधा का उपयोग करके रहते हैं।