नई दिल्ली : हाल ही में केंद्र सरकार ने राइट टू एजुकेशन (RTE) के दायरे को बढ़ाने की चाहत जताई है। राइट टू एजुकेशन यानि "शिक्षा का अधिकार"। भारत में यह कानून 2009 बनाया गया था जिसके अंतर्गत पहली कक्षा से 8वीं कक्षा तक की शिक्षा सिमित थी। अब सरकार चाहती है कि इसके दायरे को बढ़ाकर नर्सरी से लेकर 12वीं कक्षा को इसके अंदर लाया जाए। आरटीई में प्राइमेरी स्कूल के साथ प्री स्कूल और सेकेंडरी स्कूल को शामिल करने का अंतिम फैसला अगले हफ्ते केंद्र सरकार और राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की CAB (Central Advisory Board) के बीच होने वाली बैठक में होगा।
क्या है राइट टू एजुकेशन का अर्थ ?
आर्टिकल 21-ए, राइट टू एजुकेशन (RTE) एक्ट का अर्थ है कि भारत के हर बच्चे को फुल टाइम एलिमेंटरी एजुकेशन का अधिकार है। यह कोई विशेष-अधिकार नहीं बल्कि मानव-अधिकार है। कानूनी तौर पर मानवाधिकार के रूप में शिक्षा का अर्थ है बिना किसी भेद-भाव के सभी को शिक्षा मिले। राज्य शिक्षा के अधिकार का मान रखने और उसकी पूर्ती होने की देख-रेख करने के लिए बाध्य हैं। कोई भी राज्य शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता।
EWS ( Economically Weaker Section) कोटा हो सकता है खत्म !
सम्मेलन में निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) कोटा खत्म करने पर सहमति बन सकती है। आरटीई के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटें ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित रहती हैं। इस कोटे पर दाखिले के लिए केंद्र सरकार करोड़ों रुप्ये खर्च करती है। इस कोटे को खत्म कर इस पैसे को सरकारी स्कूलों के सुधार के रूप में उपयोग करने का प्रस्ताव आ सकता है।
नर्सरी से 12वीं की कक्षाएं हो सकती हैं RTE में शामिल
अभी आरटीई के तहत केवल प्राइमेरी स्कूलों (पहली से आठवीं कक्षा) में ही अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है। 12 राज्यों ने प्री स्कूलों को प्राइमेरी स्कूलों से जोड़ने पर सहमति दे दी है। पिछली CAB की बैठक में राज्यों ने प्री स्कूलों को प्राइमेरी स्कूलों से जोड़ने का प्रस्ताव रखा था। अब अनिवार्यता 8वीं कक्षा को बढ़ा कर 12वीं कक्षा तक की जा सकती है। ऐसा करनेसे अभिभावकों के पास निजी स्कूलों के अलावा सरकारी स्कूलों का भी विकल्प होगा।
अगले सप्ताह तक आएगा अंतिम फैसला
11 जनवरी 2018 को CAB की सब कमेटी बैठक होगी। इस बैठक के अध्यक्ष मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह होंगे। बिहार, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, गुजरात, मनीपुर, केरल, पश्चिम बंगाल और असम के शिक्षा मंत्री इस बैठक में शामिल होंगे। प्री स्कूल और सेकेंडरी स्कूल पर सुझाव और रपोर्ट की पेशी के बाद CAB की बैठक में इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।