वाशिंगटन। अमेरिका में कोरोना वायरस महामारी के कारण आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे भारत समेत कई देशों के फंसे छात्र कैंपस के बाहर काम करने के लिये मंजूरी को लेकर आवेदन कर सकते हैं। अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) की इस घोषणा से उन लाखों अंतरराष्ट्रीय छात्रों को राहत मिलेगी जो पिछले कुछ सप्ताह से कठिन हालात का सामना कर रहे हैं। यूएससीआईएस ने एक बयान में कहा, ‘‘अगर आप अप्रत्याशित परिस्थिति के कारण आर्थिक कठिनाइयों का सामाना कर रहे हैं, जो आपके नियंत्रण में नहीं है, आप कैंपस के बाहर काम करने की मंजूरी को लेकर आग्रह पत्र दे सकते हैं।’’
इसके लिये कुछ नियामकीय जरूरतों को पूरा करना जरूरी है। बयान के अनुसार सभी आवेदनों पर मामला-दर मामला आधार पर विचार किया जाएगा। अप्रत्यशित मामलों में वित्तीय सहायता या कैंपस के भीतर काम नहीं मिलना, मुद्रा की विनिमय दर में उल्लेखनीय उतार-चढ़ाव और ट्यूशन या रहन-सहन की लागत में जरूरत से ज्यादा वृद्धि आदि शामिल हैं। यूएससीआईएस ने समर्थन के स्रोत की वित्तीय स्थिति में अचानक से बदलाव के साथ चिकित्सा बिल के भी अप्रत्याशित हालात की श्रेणी में रखा है। अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए 13 मार्च को सामाजिक दूरी के उपायों की घोषणा की गयी। इसके तहत शिक्षण संस्थान बंद करने की घोषणा की गयी।
इसके कारण भारत समेत विभिन्न देशों के अंतरराष्ट्रीय छात्र फंसे हुए हैं और कई मामलों में वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। छात्रों से शेष शैक्षणिक सत्र के लिये छात्रावास खाली करने को कहा गया है। शैक्षणिक सत्र अगस्त में शुरू होने की संभावना है। एक अनुमान के अनुसार अमेरिका में 250,000 भारतीय छात्र हैं। उनमें से कई 22 मार्च से भारत के हवाईअड्डों को बंद करने से पहले स्वदेश लौट आये। हालांकि अभी सैकड़ों छात्र फंसे हुए हैं और उनमें से कइयों के पास पैसे न के बराबर हैं।
भारतीय-अमेरिकी होटल मालिक उनकी मदद के लिये आगे आयें हैं और कई मामलों में उन्हें मुफ्त में रहने तथा खाने की पेशकश की गयी है। यूएसआईसीएस ने कहा कि कैंपस से बाहर काम करने की मंजूरी के लिये उन्हें अपने आवेदन पर संस्थान के संबंधित हस्ताक्षर लेने होंगे। इस मंजूरी के बाद उन्हें अमेरिका में कहीं भी काम करने की अनुमति होगी। सामान्य परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों को विश्वविद्यालय परिसर में काम करने की अनुमति होती है। वह भी सीमित घंटों के लिये।