नई दिल्ली। लॉकडाउन के कारण बंद पड़े विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालय, कॉलेज एवं शिक्षण संस्थान अब अपने छात्रों के साथ सीधा संपर्क स्थापित करेंगे। छात्रों से प्रतिदिन संपर्क स्थापित करने के लिए फोन कॉल, ईमेल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व अन्य डिजिटल माध्यम अपनाए जाएंगे, ताकि लॉकडाउन की अवधि में भी छात्रों एवं शिक्षण संस्थानों का सामंजस्य बना रहे। कोरोना वायरस को लेकर भी छात्रों को विशेष रूप से सजग किया जा रहा है। छात्रावासों में रह रहे छात्रों के लिए छात्रावास के वार्डन, सीनियर फैकल्टी के नेतृत्व में छात्रों के कोविड-19 सहायता समूह बनाए गए हैं। छात्रों के लिए बनाए गए यह समूह ऐसे छात्रों की पहचान करेंगे, जिन्हें तत्काल सहायता की जरूरत है और उन्हें आवश्यक सहायता दी जाएगी।
इस संबंध में यूजीसी ने भी छात्रों के हितों और उनके स्वास्थ्य के मद्देनजर विशेष पहल की है। यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने कुलपतियों को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान कोविड-19 के समय और बाद में स्टूडेंट्स के मानसिक स्वास्थ्य तथा मनो-सामाजिक चिंताओं पर गौर करना भी उतना ही जरूरी है।
उन्होंने पत्र में कहा, "मौजूदा स्थिति में छात्रों में उनकी पढ़ाई, स्वास्थ्य और अन्य मुद्दों को लेकर तनाव या अवसाद जैसी समस्याओं से निपटने के लिए विश्वविद्यालय और कॉलेजों को मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन शुरू करनी चाहिए। इस हेल्पलाइन पर नियमित रूप से नजर रखी जाए और काउंसलर तथा संकाय सदस्यों द्वारा उसको प्रबंधित किया जाए।"
जैन ने कहा, "विश्वविद्यालय छात्रावास वॉर्डन और वरिष्ठ संकाय के नेतृत्व में छात्रों के लिए कोविड-19 सहायता समूह भी बनाया जाए, जो मदद की दरकार रखने वाले दोस्तों और सहपाठियों की पहचान करे।"केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों द्वारा नियमित तौर पर छात्रों से बातचीत करना और अपीलए पत्र के माध्यम से उन्हें शांत और तनाव मुक्त रहने की सलाह दी है।