नई दिल्ली। गंभीर बीमारी से पीड़ित जयपुर के एक दिव्यांग बच्चे को भारत सरकार की ओर से बाल श्रेणी में उत्कृष्टता पुरस्कार के लिये चुना गया है। व्हील चेयर के जरिये चलने को मजबूर 17 वर्षीय हृदयेश्वर सिंह भाटी ने सात आविष्कार के साथ तीन पेटेंट अपने नाम करने के साथ-साथ कई पुरस्कार जीते हैं। वह ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नामक बीमारी से पीड़ित है। केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से जारी एक पत्र के अनुसार हृदयेश्वर को बाल श्रेणी के अंतर्गत- उत्कृष्ट रचनात्मक बाल (पुरुष) -2019 सशक्त दिव्यांगता के राष्ट्रीय पुरस्कार के लिये चुना गया है।
नई दिल्ली में दो दिसम्बर को आयोजित होने वाले समारोह में भाटी को यह पुरस्कार दिया जाएगा। उसके पिता सरोवर सिंह भाटी ने बताया कि गंभीर बीमारी के बावजूद ह्रदयेश्वर ने शतरंज के क्षेत्र में आविष्कार कर उसने दुनिया में देश का नाम ऊंचा किया है। उन्होंने पहली बार 2013 में 9 साल की उम्र में छह खिलाडियों की गोल शतरंज का आविष्कार किया और देश के सबसे कम उम्र के दिव्यांग पेटेंट धारक बन गए और दुनिया के सबसे कम उम्र के अलग-अलग पेटेंट धारक बन गए। उन्होंने कहा कि भाटी ने 12 और 60 खिलाडियों के लिये भी गोल शतरंज का आविष्कार किया है और उनके लिए पेटेंट प्राप्त किया है। ह्रदयेश्वर को पहले भी कई सम्मान मिल चुके हैं।