यूनेस्को की वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 वैश्विक महामारी से शिक्षण क्षेत्र को काफी नुकसान पहुंचेगा। इस रिपोर्ट में सरकारों से ऐसी शिक्षा प्रणालियों का फिर से निर्माण करने की अपील की गई है जो बेहतर हो और जिसकी सब तक पहुंच हो। रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना वायरस संक्रमण की दरों पर स्कूल बंद करने के प्रभाव का आकलन “अनिश्चितताओं से भरा है क्योंकि निर्णायक साक्ष्यों को सामने आना अभी बाकी है जो कई बार इस मुद्दे को काफी हद तक विभाजनकारी बनाता है।” इसमें कहा गया, ‘‘कुछ शिक्षक जो संवेदनशील समूहों से ताल्लुक रखते हैं, उन्हें चिंता है कि उनकी सेहत जोखिम में है। ऐसे बहुत कम देश हैं जो स्कूलों में सामाजिक दूरी के सख्त नियमों को लागू कर सकते हैं।”
“कुल मिलाकर, शिक्षण पर इसका असर काफी होने वाला है, भले ही इसकी तीव्रता को कम करना मुश्किल है।” हाल में जारी वार्षिक रिपोर्ट के चौथे संस्करण में कहा गया कि कोविड-19 वैश्विक महामारी का वंचित विद्यार्थियों पर ज्यादा असर पड़ेगा, जिनके पास घर पर संसाधन कम हैं और यह सामाजिक-आर्थिक अंतर को और बढ़ाएगा। रिपोर्ट में कहा गया, “कम और मध्यम आय वाले देशों में से 17 प्रतिशत देश और शिक्षक भर्ती करने की, 22 प्रतिशत कक्षा का समय बढ़ाने और 68 प्रतिशत स्कूल दोबारा खुलने पर सुधारात्मक कक्षाएं शुरू करने की योजना बना रहे हैं। इन कक्षाओं की योजना कैसे होगी और इन्हें कैसी शक्ल दी जाएगी, यह इस लिहाज से देखना बहुत अहम होगा कि वंचित विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल पाता है या नहीं।”
इसमें कहा गया, “कोविड-19 संकट ने दिखाया है कि यह मुद्दा संचार माध्यमों तक लोगों की असमान पहुंच (डिजिटल डिवाइड) की समस्या को दूर करने के लिए केवल तकनीकी समाधानों के बारे में नहीं है। भले ही दूरस्थ शिक्षा (डिस्टेंस लर्निंग) सुर्खियों में रही हो लेकिन कुछ ही देशों के पास शिक्षा एवं शिक्षण के ऑनलाइन दृष्टिकोण की चुनौतियों पर ध्यान देने का मूलभूत ढांचा है। ज्यादातर बच्चों और युवाओं ने कुछ समय के लिए सीखने के नुकसान का सीधा-सीधा सामना किया है।” ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट (जीईएम रिपोर्ट) एक स्वतंत्र टीम तैयार करती है और इसे यूनेस्को ने प्रकाशित किया है। इसे शिक्षा पर सतत विकास लक्ष्य पूरा करने में हुई प्रगति की निगरानी का आधिकारिक आदेश प्राप्त है।