नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के एक दल ने कम लागत वाली एलईडी आधारित एक विसंक्रमण मशीन तैयार की है जिसका इस्तेमाल कोविड-19 से निपटने में सहायता के लिये अस्पतालों, बसों और ट्रेनों में फर्श से संक्रमण हटाने में किया जा सकता है। आईआईटी गुवाहाटी ने मशीन के पेटेंट के लिये आवेदन किया है और जब यह व्यावसायिक रूप से उपयोग के लिये उपलब्ध होगी तो इसकी लागत करीब 1000 रुपये आएगी। मशीन के शुरुआती संस्करण को अभी इंसानी देखरेख की जरूरत होती है। टीम इसे स्वचालित बनाने की दिशा में काम कर रही है जिससे इंसानी दखल की जरूरत कम से कम हो।
यह मशीन कर्नाटक सरकार के अनुरोध तक विकसित की गई है जिसका उसके अस्पतालों और बसों में इस्तेमाल होना था लेकिन अब व्यावसायिक इस्तेमाल के लिये इसकी पेशकश दूसरी सरकारों को भी की जाएगी। संस्थान के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के असोसिएट प्रोफेसर सेंथिलमुरुगन सुबैय्या ने कहा, “आने वाले महीनों में सार्वजनिक स्थलों की सफाई बेहद महत्वपूर्ण होने जा रही है जब कोई आवाजाही पर पाबंदी नहीं होगी, लेकिन वायरस के प्रसार को रोकने के लिये जरूरी ऐहतियात बरतना होगा।
अभी विसंक्रमण के उपाय सिर्फ सतहों, दीवारों और खुले इलाकों में अपनाए जा रहे हैं और अभी फर्शों की सफाई की कोई प्रणाली नहीं है जबतक कि कोई अल्कोहल-आधारित क्लीनर से खुद मॉप से सफाई न करें।” उन्होंने कहा, “यूवीसी प्रणाली सुक्ष्मजीवों द्वारा संक्रमित गैर छिद्रयुक्त सतह की सफाई के लिए प्रमाणिक प्रौद्योगिकी है। यूवीसी से उच्च स्थिरता वाले वायरसों में से एक एमएस-2 कोलीफेज को 186-जे खुराक से 90 फीसद तक मारा जा सकता है, जबकि कोविड-19 की तरह के इंफ्लुएंजा वायरस के लिये 36-जे खुराक की जरूरत होती है।”
उन्होंने कहा, “टीम ने यूवीसी एलईडी प्रणाली विकसित की है जो 30 सेकंड में 400-जे खुराक उपलब्ध कराने में सक्षम है जिससे वायरस संक्रमित सतह साफ हो जाए। यूवीसी प्रणाली की खास डिजाइन यह सुनिश्चित करेगी कि गैर छिद्रयुक्त क्षेत्र में वायरस संक्रमित सतह समान रूप से साफ हो।” सुबैय्या ने कहा कि हम सरकारी एजेंसियों और कुछ औद्योगिक संस्थानों के साथ इसके व्यावसायिक इस्तेमाल के लिये अन्य कम लागत वाले ज्यादा स्मार्ट संस्करण बनाने की तैयारी कर रहे हैं।