नई दिल्ली: सीबीएसई ने पाठ्यक्रम कटौती किए जाने पर कहा कि स्कूली पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाने के कदम की अलग अलग ढंग से व्याख्या की जा रही है, यह कदम केवल 2020-2021 अकादमिक सत्र के लिए उठाया गया। बोर्ड ने कहा कि पाठ्यक्रम से जिन विषयों को हटाया गया है, उन्हें लॉकडाउन के दौरान स्कूलों में लागू वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर के तहत पहले की पढ़ाया जा चुका है। उन्होनें कहा कि पाठ्यक्रम से जिन विषयों को हटाया गया है, 2021 बोर्ड परीक्षाओं में उनसे कोई प्रश्न नहीं पूछा जाएगा।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने बुधवार को दावा किया कि स्कूली पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाने के कदम की ‘‘अलग’’ ढंग से व्याख्या की जा रही है और यह कदम कोविड-19 संबंधी हालात के मद्देनजर केवल 2020-2021 अकादमिक सत्र के लिए उठाया गया है। बोर्ड ने पाठ्यक्रम से कुछ अध्यायों को हटाए जाने को लेकर विवाद के बीच यह स्पष्टीकरण दिया।
सीबीएसई सचिव अनुराग त्रिपाठी ने कहा, ‘‘नौवीं से 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में कटौती की अलग तरीके से व्याख्या की जा रही है। जो बातें की जा रही हैं, उसके विपरीत यह स्पष्ट किया जाता है कि 2020-21 अकादमिक सत्र के लिए करीब 190 विषयों के पाठ्यक्रम में 30 प्रतिशत की कटौती केवल एक बार के लिए की गई है।’’
बोर्ड ने दावा किया कि मौजूदा स्वास्थ्य आपात एवं अध्ययन में आ रही दिक्कतों के मद्देनजर पाठ्यक्रम में युक्तिसंगत कटौती का उद्देश्य छात्रों के बीच परीक्षा का तनाव कम करना है। उसने कहा कि पाठ्यक्रम से जिन विषयों को हटाया गया है, केवल 2020-21 अकादमिक सत्र में उनसे कोई भी प्रश्न नहीं पूछा जाएगा।
त्रिपाठी ने कहा, ‘‘स्कूलों को पाठ्यक्रम के संदर्भ में एनसीईआरटी द्वारा तैयार किए गए वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर का पालन करने का भी निर्देश दिया गया है। इस तरह, जिन विषयों को हटाए जाने संबंधी जो गलत बात की जा रही है, उन्हें वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर में पहले ही शामिल किया गया है। यह कैलेंडर बोर्ड के सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों में पहले ही लागू है।’’
सीबीएसई ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए कक्षा नौवीं से 12वीं के लिए 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम को घटाते हुए मंगलवार को नया पाठ्यक्रम अधिसूचित किया। जिन विषयों को हटाया गया है, उनमें लोकतंत्र और विविधता, नोटबंदी, राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता, पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंध और भारत में स्थानीय सरकारों का विकास शामिल है।