साइंस स्ट्रीम से 12वीं पास करने के बाद ज्यादातर छात्र डॉक्टर या इंजीनियर बनने की चाह रखते हैं। वहीं कुछ ऐसे भी छात्र होते हैं जो इन पारंपरिक फील्ड्स से हटकर अपना करियर बनाना चाहते हैं, लेकिन कन्फयूजन के कारण उन्हें करियर के लिए दूसरा विकल्प नजर नहीं आता। आज हम आपको इस खबर के जरिये साइंस स्ट्रीम से जुड़े कई और करियर ऑप्शन बताएंगे, जिसमें आप अपना भविष्य बना सकते हैं।
नैनो-टेक्नोलॉजी: इस क्षेत्र में शानदार करियर बनाया जा सकता है। नैनो टेक्नोलॉजी का मुख्य काम आज की तकनीक का प्रयोग करते हुए भविष्य के लिए बेहतर रिजल्ट तैयार करना है, इसलिए छात्रों को नए अनुसंधानों के बारे में जानकारी होनी जरूरी है। यदि फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स व बायोलॉजी में अच्छी पकड़ है तो इससे अतिरिक्त लाभ मिल सकता है। जिन छात्रों ने मेकेनिकल, केमिकल, इलेक्ट्रानिक्स, बायो टेक्नोलॉजी, कम्प्यूटर साइंस जैसे विषयों से एमटेक किया है, वे भी इस क्षेत्र से जुड़ सकते हैं। नैनो टेक्नोलॉजी में पीजी करने के लिए साइंस में 50 प्रतिशत अंकों के साथ ग्रेजुएट होना जरूरी है। एम.टेक. करने के लिए बायोटेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्प्यूटर साइंस, मैटीरियल साइंस, मैकेनिकल, बायो मेडिकल, केमिकल में से किसी भी विषय में बी.टेक. की डिग्री आवश्यक है। कुछ संस्थानों ने नैनोटेक्नोलॉजी में बी.टेक. की डिग्री भी शुरू की है।
प्रमुख कोर्स
- बी.टेक. इन नैनो टेक्नोलॉजी
- एम.टेक. इन नैनो टेक्नोलॉजी
- पी.जी. इन नैनो टेक्नोलॉजी
स्पेस साइंस: स्पेस में बढ़ती हलचलों ने युवाओं को इस ओर आने के लिए काफी प्रेरित किया है। यह साइंस की एक ऐसी शाखा है, जिसके अंतर्गत हम ब्रह्मांड का अध्ययन करते हैं। इसमें ग्रह, तारों आदि के बारे में जानकारी होती है। छात्रों को कोर्स के दौरान यह भी जानकारी दी जाती है कि किस तरह से पृथ्वी और सौर मंडल की उत्पत्ति हुई तथा उसके विस्तार की प्रक्रिया किस तरह की है। इसमें प्रयुक्त होने वाले उपकरणों के बारे में भी छात्रों को थ्योरी और प्रैक्टिकल के रूप में जानकारी दी जाती है।
इसमें जो भी कोर्स हैं, वे बैचलर से लेकर पीएचडी लेवल तक हैं। बैचलर कोर्स में प्रवेश तभी मिल पाएगा, जब छात्र ने बारहवीं की परीक्षा साइंस विषय के साथ (फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथमेटिक्स) पास की हो। इसमें ऑल इंडिया लेवल पर एक प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है। इसमें सफल होने के बाद ही बैचलर प्रोग्राम में दाखिला मिलता है, जबकि मास्टर प्रोग्राम में बीटेक व बीएससी के बाद दाखिला मिलता है।
कुछ प्रमुख कोर्स
- बीटेक इन स्पेस साइंस (चार वर्षीय)
- बीएससी इन स्पेस साइंस (तीन वर्षीय)
- एमटेक इन स्पेस साइंस (दो वर्षीय)
- एमएससी इन स्पेस साइंस (दो वर्षीय)
- एमई इन स्पेस साइंस (दो वर्षीय)
- पीएचडी इन स्पेस साइंस (तीन वर्षीय)
एनवायर्नमेंटल साइंस: अगर आपको पर्यावरण और प्रकृति के करीब रहकरअपना करियर बनाना है तो आपके लिए एनवायर्नमेंटल साइंस का करियर बेहतर साबित हो सकता है। एनवायर्नमेंटल साइंस पर्यावरण की वह शाखा है जिसमें पर्यावरण पर अध्ययन किया जाता है। इसमें मानव और पर्यावरण के संबंध और एक-दूसरे पर पड़ने वाले असर का अध्ययन किया जाता है। इसके तहत इकोलॉजी, डिजास्टर मैनेजमेंट, वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट, पॉल्यूशन कंट्रोल जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं।
एनवायर्नमेंटल साइंस में करियर बनाने के लिए आपको 12वीं साइंस (फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी/ मैथमेटिक) विषय के साथ पास करना अनिवार्य है। 12वीं के बाद आप एनवायर्नमेंटल साइंस में बीएससी कर सकते है। इसके अलावा एनवायर्नमेंटल साइंस में एमएससी और इंजीनियरिंग भी किया जा सकता है। आप चाहे तो मास्टर डिग्री करने के बाद एनवायर्नमेंटल साइंस में एमफिल या रिसर्च भी कर सकते है
वाटर साइंस- इस बात से तो हर कोई वाकिफ है कि जल ही जीवन है लेकिन जल जॉब भी देता है, यह आप शायद ही जानते होंगे। मतलब यह कि पानी में भी आप अपना कॅरियर संवार सकते हैं और वो भी जल वैज्ञानिक के तौर पर। वाटर साइंस यानी जल विज्ञान अपने आप में एक बड़ी शाखा है। इसका अध्ययन आपके कॅरियर में चार चांद लगा सकता है। इस क्षेत्र में हाइड्रोमिटिरोलॉजी, भूतल, जल विज्ञान, हाइड्रोजिओलॉजी, ड्रेनेज बेसिन मैनेजमेंट और जल गुणवत्ता से संबंधित विषय आते हैं। इसकी कई शाखाएं हैं जैसे- रासायनिक जल विज्ञान, पारिस्थितिकी जल विज्ञान, हाइड्रोइन्फॉरमैटिक्स जल विज्ञान, हाइड्रो मिटियोरोलॉजी, भूतल जल विज्ञान।
रोबोटिक साइंस: रोबोटिक साइंस का क्षेत्र काफी तेजी से पॉपुलर हो रहा है। इसका इस्तेमाल इन दिनों तकरीबन सभी क्षेत्रों में होने लगा है। जैसे- हार्ट सर्जरी, कार असेम्बलिंग, लैंडमाइंस. अगर आप इस फील्ड में आना चाहते हैं तो इस क्षेत्र से जुड़े कुछ स्पेशलाइजेशन कोर्स भी कर सकते हैं. जैसे ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, एडवांस्ड रोबोटिक्स सिस्टम। कम्प्यूटर साइंस से स्नातक कर चुके स्टूडेंट्स इस कोर्स के लिए योग्य माने जाते हैं। रोबोटिक में एमई की डिग्री हासिल कर चुके स्टूडेंट्स को इसरो जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में रिसर्च वर्क की नौकरी मिल सकती है।
डेयरी टेक्नॉलॉजी में उजली संभावनाएँ हैं। बारहवीं की परीक्षा गणित, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान अथवा इंटरमीडिएट कृषि विज्ञान के उपरांत डेयरी टेक्नॉलॉजी कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। यह कोर्स इन संस्थानों में उपलब्ध है- नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल (हरियाणा)/ एमपी कॉलेज ऑफ डेयरी साइंस, आणंद (गुजरात)/ जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि, जबलपुर (मप्र)। इस क्षेत्र में काफी अच्छा भविष्य बनाया जा सकता है।