नई दिल्ली। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान समेत देश के कई राज्यों में अब प्राइवेट स्कूल छात्रों से एक साथ 3 महीने की फीस नहीं वसूल सकेंगे। इस संदर्भ में विभिन्न राज्य सरकारों ने निर्णय लिया है। वहीं केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी देशभर के निजी स्कूलों से 3 महीने की फीस एक साथ न वसूलने को कहा है।
स्कूली छात्रों के अलावा इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, आर्किटेक्च र और फार्मेसी से जुड़े कॉलेज एवं संस्थान भी लॉकडाउन के दौरान छात्रों को फीस जमा कराने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। इसके साथ ही यहां कार्यरत शिक्षकों को नियमित वेतन भी दिया जाएगा।एआईसीटीई के सचिव प्रोफेसर राजीव कुमार ने इस बारे में दिशानिर्देश जारी किए हैं।
राजस्थान में 9 अप्रैल को यह निर्णय लिया था। इसके बाद हरियाणा दिल्ली उत्तर प्रदेश व पंजाब की सरकारों ने भी ऐसे ही निर्णय लिए हैं। हरियाणा शिक्षा निदेशालय ने सभी डिविजनल एजुकेशन ऑफिसर्स को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि राज्य का कोई भी प्राइवेट स्कूल 3 महीने की फीस एक साथ न लें। लॉकडाउन के दौरान छात्रों से स्कूल की पुस्तकों, यूनिफॉर्म और ट्रांसपोर्ट के पैसे भी न वसूलने के आदेश जारी किए गए हैं।
दरअसल पंजाब, दिल्ली, गुड़गांव, नोएडा समेत कई स्थानों पर प्राइवेट स्कूलों द्वारा छात्रों के अभिभावकों को 3 माह की फीस और ट्रांसपोर्ट चार्जेस जमा करने का नोटिस भेजा गया। प्राइवेट स्कूलों द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद विभिन्न राज्य सरकारों ने तुरंत प्रभाव से 3 महीने की फीस एक साथ न वसूलने का आदेश जारी किया है।
निशंक ने कहा, "देशभर से कई अभिभावकों द्वारा मेरे संज्ञान में यह बात लाई गई है कि इस संकट के समय में भी कई स्कूल अपनी सालाना फीस में वृद्धि और तीन महीने की वर्तमान फीस एक साथ ले रहे हैं। इस वैश्विक आपदा के समय मेरा सभी स्कूलों से निवेदन है की सालाना स्कूल फीस वृद्धि और तीन महीने की फीस एक साथ न लेने पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें।"
वहीं दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, "कोई भी प्राइवेट स्कूल कोरोना संकट और लॉकडाउन के इस दौर में स्कूल फीस नहीं बढ़ाएगा। दिल्ली सरकार ने इसके लिए सभी स्कूलों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। यदि कोई स्कूल 3 महीने की फीस एक साथ मांगता है या फीस वृद्धि करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"