नयी दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नयी शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किये गए हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में नयी शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। उन्होंने बताया कि 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए यह बेहद महत्वपूर्ण है।
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।
- 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए यह बेहद महत्वपूर्ण है।
- शिक्षा क्षेत्र में खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत करने का लक्ष्य।
- नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसमें (लॉ और मेडिकल शिक्षा को छोड़कर) उच्च शिक्षा के लिये सिंगल रेगुलेटर (एकल नियामक) रहेगा।
- नयी व्यवस्था में एमए और डिग्री प्रोग्राम के बाद एफफिल करने से छूट की भी एक व्यवस्था की गई है।
- उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी सकल नामांकन दर पहुंचने का लक्ष्य।
- नई नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट (बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) व्यवस्था लागू किया गया है।
- शिक्षा में कुल जीडीपी का अभी करीब 4.43 फीसदी खर्च हो रहा है, लेकिन उसे 6 फीसदी करने का लक्ष्य।
- आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरंग पढ़ने या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी।
- हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं के अलावा आठ क्षेत्रीय भाषाओं में भी ई-कोर्स होगा।
- वर्चुअल लैब के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जायेगा। इसके साथ ही नेशनल एजुकेशन टेक्नॉलोजी फोरम बनाया जा रहा है।
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 के 15 वर्ष हो गए हैं और अब नया पाठ्यचर्या आयेगा।
- शिक्षक शिक्षा के पाठ्यक्रम के भी 11 साल हो गए हैं, इसमें भी सुधार होगा।
- नए भारत के निर्माण में नई शिक्षा नीति 2020 मील का पत्थर साबित होगी।
- वर्तमान शिक्षा नीति 1986 में तैयार किया गया था और इसमें 1992 संशोधन किया गया था।