लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2015 की 34,716 पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती पर लगी रोक हटा ली है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश में 34,716 पुलिस और पीएसी सिपाहियों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। अब उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इसका परिणाम घोषित कर भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को एक साथ सुनवाई करते हुए खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ताओं ने दिसंबर 2015 में जारी विज्ञापन के तहत बगैर लिखित परीक्षा लिए भर्ती करने के नियम को चुनौती दी थी।
अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि लिखित परीक्षा कराए बगैर मेरिट के आधार पर भर्ती किए जाने में कोई अवैधानिकता नहीं है। यह आदेश चीफ जस्टिस डीबी भोसले एवं जस्टिस सुनीत कुमार की खंडपीठ ने रणविजय सिंह व अन्य की कई याचिकाओं पर दिया है। इसी के साथ प्रदेश में बड़ी संख्या में सिपाहियों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया। आपको बता दें कि 2015 में प्रदेश सरकार ने भर्ती का नियम बदलते हुए हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर मेरिट बनाकर सिपाहियों की भर्ती करने का फैसला लिया था। इसके विरोध में दलील दी गई थी कि ऐसा करने से योग्य सिपाहियों का चयन नहीं हो पाएगा।
हालांकि कोर्ट की स्वीकृति मिलने के बाद 34,716 सिपाहियों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि शारीरिक दक्षता के मानकों में कोई कटौती नहीं की गई है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने 12 दिसंबर 2015 को जारी विज्ञापन में पुलिस और PAC में 28,916 पुरुष आरक्षियों तथा पुलिस में 5,800 महिला सिपाहियों की भर्ती निकाली थी। इसके लिए पुलिस विभाग ने 2008 की नियमावली के नियम 15 में संशोधन कर लिखित परीक्षा का प्रावधान समाप्त कर दिया जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई थी।