वर्ष 2017 में भारत में नौकरियों की कमी रही, पर 2018 नौकरियों के लिए एक उभरता हुआ वर्ष माना जा रहा है। खासकर के सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में रोजगार अवसरों के बढ़ने की संभावना दिख रही है। विशेषज्ञों की मानें तो भारतीय रोजगार बाजार एक ऐसे दौर से गुज़र रहा है जहां इसमें तीव्र बदलाव होंगे। इसका श्रेय आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में आए उभार को भी जाता है।बदलाव के इस दौर में मार्केट में बने रहने के लिए अपने कौशल को बनाए रखना बहुत जरूरी है। ऑटोमेशन के आने से कई क्षेत्रों में नौकरियां कम तो होंगी लेकिन मोबाइल फोन मेनुफेक्चर, वित्तीय तकनीक और स्टार्टअप में बढ़ते हुए अवसर रोजगार बढ़ाने में काम आएंगे।
नौकरियों में होने वाली वृद्धि का कारण-
वित्तीय सेवा क्षेत्र में सुधारकारोबारों के डिजिटलीकरण एवं ऑटोमेशन में बढ़ते इनवेस्टमेंट के परिणाम के रूप में कारोबार में वृद्धि होने की पूरी उम्मीद है। नौकरियों में वृद्धि की एक और वजह नए इन्वेस्टरों का आना है। वर्ष 2018 में करीब 20 फीसदी अधिक कर्मचारियों को नौकरी मिलेगी। 2018 में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में लगभग दो लाख नई नौकरियों के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। भारत डिजिटल इंडिया की तरफ आगे बढ़ रहा है। ऐसे में डिजिटल कौशल से लैस 50 फीसदी अधिक वर्कफोर्स की जरूरत होगी।
स्वचालन (ऑटोमेशन) से पैदा होने वाले नए रोजगार अवसर -
नई तकनीकों ने डिजिटल वर्कप्लेस और अर्थपूर्ण कर्मचारी अनुभव की जरुरत को बढ़ा दिया है। अच्छा प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों का निर्माण करना आज एक चुनौती भरा काम बन गया है। कार्यस्थल पर स्वचालन से नए तरह के रोजगार पैदा हो गए हैं। फिक्की-नासकॉम और ईवाई की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार 2022 तक भारत में 60 करोड़ वर्कफोर्स के जुड़ने की उम्मीद है।