रांची। झारखंड की राजधानी रांची से करीब 100 किलोमीटर दूर 1994 में लातेहार में स्थापित तकनीकी संस्थान राजकीय पोलीटेक्निक में ऐसे तो शिक्षकों के स्वीकृत पदों की संख्या प्राचार्य सहित कुल 23 है, लेकिन 13 पद खाली हैं। यहां पांच शिक्षक अनुबंध पर कार्यरत हैं। यहां लैब असिस्टेंट के 19 पद और अनुदेशक के 10 पद स्वीकृत हैं, लेकिन यहां इन पदों पर सिर्फ एक व्यक्ति कार्यरत हैं। वैसे, यह हाल केवल लातेहार राजकीय पोलीटेक्निक का ही नहीं है। राज्य के सभी पोलीटेक्निक कॉलेज की हालत कमोबेश ऐसी ही है। तकनीकी संस्थानों की बात तो दूर राज्य की उच्च शिक्षा भी रिक्त पदों के कारण प्रभावित हो रही है।
झारखंड में कुल 17 राजकीय पोलीटेक्निक संस्थान हैं। इसमें अधिकांश संस्थानों में न ही प्राचार्य हैं और न ही विभागाध्यक्ष हैं। इनमें व्याख्याताओं के कुल 376 पद स्वीकृत हैं और 299 पद रिक्त हैं। इसके अलावा 935 स्टाफ अनुबंध पर कार्यरत हैं। इन संस्थानों के हाल का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अधिकांश संस्थान प्रभारी प्राचार्यो से काम चला रहे हैं।
गौरतलब है कि अनुबंध पर कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन दो वर्ष से बकाया है। इस बीच, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले दिनों सभी विभागों की समीक्षा बैठक में रिक्त पदों को लेकर चिंता जताई है। मुख्यमंत्री ने पदों को भरने की कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है। सूत्रों का कहना है कि सरकार के विभिन्न विभागों में फि लहाल 2,81,077 नियमित पद रिक्त हैं। विभिन्न विभागों में कुल 4,73,112 नियमित पद स्वीकृत हैं।
झारखंड के आठ विश्वविद्यालयों में 4562 अतिरिक्त पद सृजित कर बहाली निकालने की योजना पर काम हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इसके लिए आगे बढ़ने के संकेत दे दिए हैं। समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने सभी विभागों के अलावा राज्य में उच्च शिक्षा में भी रिक्त पदों को जल्द भरने के निर्देश दिए हैं।
राज्य में कुल आठ विश्वविद्यालय हैं, जिनमें 3693 पद स्वीकृत हैं। इनमें नियमित स्टाफ केवल 1469 ही कार्यरत हैं। 935 कर्मचारी अनुबंध के आधार पर कार्यरत हैं। 2224 पद अभी भी रिक्त हैं। इसके अलावा 4562 अतिरिक्त स्टाफ की जरूरत है।
रांची विश्वविद्यालय की बात करें तो इस विश्वविद्यालय में 1030 स्वीकृत पद हैं, जबकि 550 पद रिक्त हैं। विनोबा भावे विश्वविद्यालय में भी 355 स्वीकृत पद हैं, लेकिन यहां भी 161 पद रिक्त हैं। यही हाल नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय का है, जहां कहने को तो स्वीकृत पदों की संख्या 381 है, लेकिन यहां भी 285 पद रिक्त हैं। इसके अलावा भी सभी आठ विश्वविद्यालयों में कर्मचारियों और शिक्षकों की कमी है।