मुंबई: महाराष्ट्र स्टेट सीईटी सेल ने एमएचटी सीईटी 2020 परीक्षा को अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया है। राज्य सीईटी सेल की ओर से बाद में परीक्षा की नई तारीखों की जानकारी देगा। यह जानकारी उच्च तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने दी। बता दें कि उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग के विभिन्न विषयों में प्रवेश परीक्षाएं हर साल राज्य सामान्य प्रवेश परीक्षा सेल (सीईटी सेल) के माध्यम से आयोजित की जाती हैं।
उदय सामंत ने कहा कि महाराष्ट्र में कोविड-19 के बढ़ते खतरे को देखते हुए इन सभी परीक्षाओं को आगे बढ़ा दिया गया है। प्रवेश परीक्षा को आगे बढ़ाने के लिए छात्रों और अभिभावकों की ओर से लगातार मांग की जा रही थी। उन्होंने कहा कि यह निर्णय छात्रों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है और इन सभी परीक्षाओं की तारीखों की घोषणा नए सिरे से की जाएगी।
आपको बता दें कि इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय में कहा था कि भारतीय स्कूल परीक्षा प्रमाणपत्र (आईसीएसई) बोर्ड को कोविड-19 की स्थिति के मद्देनजर जुलाई में कक्षा दसवीं और बारहवीं की की लंबित परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। सरकार ने कहा था कि उसने इस महामारी के आलोक में राज्य में अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय की अपनी परीक्षाएं भी नहीं कराने का निर्णय लिया है।
राज्य की ओर से महाधिवक्ता आशुतोष कुंभोकोनि ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एस एस शिंदे की खंडपीठ से कहा था कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में राज्य आपदा प्रबंधन समिति ने मंगलवार को एक बैठक की जहां आईसीएसई बोर्ड को अपनी परीक्षाएं आयोजित नहीं करने देने का निर्णय लिया गया।
कुंभोकोनि ने अदालत में कहा था कि राज्य सरकार कोविड-19 की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए दो जुलाई से आईसीएसई परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति नहीं दे सकती। आईसीएसई बोर्ड ने राज्य में दो जुलाई से 12 जुलाई तक अपनी लंबित परीक्षाएं आयोजित करने का निर्णय लिया था क्योंकि कोविड-19 महामारी के चलते मार्च में परीक्षाएं आयोजित नहीं करवायी जा सकी थीं।
मुम्बई निवासी अरविंद तिवारी ने याचिका दायर करके जुलाई में परीक्षा कराने के बोर्ड के फैसले को चुनौती दी था और दावा किया था कि कोविड-19 के मामले अब भी बढ़ते जा रहे है। तिवारी ने कहा था कि आईसीएसई के विद्यालयों द्वारा दिये गये ग्रेड तथा करायी गयी अंदरूनी परीक्षाओं में विद्यार्थियों की पहले के मूल्यांकन के आधार पर परीक्षा परिणाम घोषित करना उपयुक्त नहीं होगा। अदालत ने सोमवार को राज्य सरकार को इस मुद्दे पर अपना रूख स्पष्ट करने का निर्देश दिया था।