नई दिल्ली. कोरोना संकट की वजह से CBSE बोर्ड की 10वीं कक्षा और 12वीं कक्षा की कुछ परीक्षाएं बची हुई हैं। बचे हुए विषयों के पेपर्स को लेकर छात्रों के साथ-साथ उनके अभिभावक भी चिंतित हैं। इस संबंध में केंद्र सरकार और CBSE ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि बची हुए परिक्षाओं को रद्द करने से संबंधित बातचीत अंतिम चरण में है और इसको लेकर बुधवार को अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि सरकार और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) छात्रों की चिंता से वाकिफ हैं और इस मुद्दे पर अधिकारी शीघ्र निर्णय लेंगे। मेहता ने पीठ से मामले को एक दिन के लिए स्थगित करने का अनुरोध किया और कहा कि वह उच्चतम न्यायालय को अधिकारियों के निर्णय से अवगत कराएंगे।
बता दें कि 25 मई को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने लगभग 15,000 परीक्षा केंद्रों पर दसवीं और बारहवीं कक्षा के लिए परीक्षा की घोषणा की थी, जबकि पहले 3,000 केंद्र थे। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में परीक्षा देने वाले छात्रों के कुछ माता-पिता द्वारा दायर किया गया है। इसमें उन्होंने मांग की थी कि शेष विषयों के अंक पहले आयोजित परीक्षा के आधार पर और आंतरिक मूल्यांकन के अंकों के साथ औसत आधार पर गणना करके परिणाम घोषित किए जाएं।
इसबीच, उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक अन्य याचिका पर सुनवाई की जिसमें कोविड-19 महामारी के बीच भारतीय विद्यालय प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (आईसीएसई) द्वारा ली गई परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की गई है। आईसीएसई की तरफ से पेश वकील ने पीठ से कहा कि वह सीबीएसई परीक्षा के संबंध में सरकार के निर्णय का व्यापक रूप से अनुपालन करेंगे।
इस पर, पीठ ने कहा कि आईसीएसई इस मामले पर खुद निर्णय ले सकती है। मेहता ने कहा कि सीबीएसई से संबंध में लिया गया निर्णय आईसीएसई के लिए बाध्यकारी नहीं होगा। बहरहाल,न्यायालय ने दोनों विषयों की सुनवाई 25 जून के लिये निर्धारित कर दी। गौरतलब है कि बम्बई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र में कोविड-19 के बढ़ते मामलों एवं इससे हो रही मौत पर कल चिंता जाहिर करते हुये आईसीएसई बोर्ड की 10 वीं एवं 12 वीं कक्षा की परीक्षाएं जुलाई में कराने की अनुमति दिये जाने के मामले में राज्य सरकार को अपना रूख स्पष्ट करने का निर्देश दिया था।