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RIMS जैसे अस्पताल को उपकरण और सुविधाएं नहीं दे सकते तो बंद कर दे सरकार, झारखंड हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी

झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि रिम्स में मेडिकल सुविधाओं का अभाव तो है ही, मरीजों की देखभाल में लापरवाही के मामले हर रोज सामने आ रहे हैं। रिम्स की व्यवस्था सही नहीं रहने पर लोग प्राइवेट अस्पतालों की शरण में जा रहे हैं।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: July 23, 2024 20:11 IST
ranchi rims- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO रांची रिम्स

रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए राज्य के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल रिम्स की कुव्यवस्था और प्राइवेट अस्पतालों की लापरवाही पर तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने राज्य सरकार से मौखिक तौर पर कहा कि अगर वह रिम्स में चिकित्सा उपकरण, मेडिकल फैसिलिटी सहित आधारभूत संरचनाएं-सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराती है तो इसे बंद करना ज्यादा बेहतर होगा। कोर्ट ने कहा कि रिम्स में मेडिकल सुविधाओं का अभाव तो है ही, मरीजों की देखभाल में लापरवाही के मामले हर रोज सामने आ रहे हैं। रिम्स की व्यवस्था सही नहीं रहने पर लोग प्राइवेट अस्पतालों की शरण में जा रहे हैं। रांची शहर में कई प्राइवेट अस्पताल बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं। प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम में हेल्थ केयर की जगह वेल्थ केयर पर ध्यान रखा जाता है।

रजिस्ट्रेशन नहीं लेने वाले नर्सिंग होम की मांगी रिपोर्ट

कोर्ट ने राज्य सरकार से पिछले 5 सालों में झारखंड में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं लेने वाले नर्सिंग होम एवं अस्पतालों पर कार्रवाई और इस एक्ट का अनुपालन नहीं करने वालों पर लगे जुर्माना के संबंध में रिपोर्ट मांगी है। मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी।

झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को ही राज्य के नर्सिंग होम एवं हॉस्पिटल से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के निपटारे को लेकर झारखंड ह्यूमन राइट कन्फेडरेशन की एक दूसरी जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक की ओर से आए जवाब पर हैरानी जताई। कोर्ट ने कहा कि एक तरफ आप अपने शपथ पत्र में दावा कर रहे हैं कि झारखंड के 1,633 प्राइवेट और पब्लिक नर्सिंग होम से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट का नियमानुसार निष्पादन कर दिया जाता है। जबकि, सच यह है कि नर्सिंग होम के निकट सड़कों पर मेडिकल वेस्ट फेंके रहते हैं। रिम्स जैसे संस्थान में भी मेडिकल वेस्ट अस्पताल के कॉरिडोर में फेंके रहते हैं।

रिम्स की बदहाली पर हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणी

कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि प्राइवेट एवं पब्लिक नर्सिंग होम से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट के निष्पादन को कंट्रोल करने के लिए क्या कोई मैकेनिज्म है? क्या जिलों के सिविल सर्जन इसकी जांच करते हैं? इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक को पूरे ब्यौरे के साथ अगली सुनवाई में शपथ पत्र दाखिल करने को कहा गया है। (IANS इनपुट्स के साथ)

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