Saturday, November 23, 2024
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जेल से निकला सीएम... झारखंड में ला दी JMM की आंधी, कैसे मिली हेमंत को एक साल में डबल जीत?

झारखंड में दो चरणों में विधानसभा की 81 सीटों के लिए मतदान हुए और आज रिजल्ट की बारी है। झारखंड में जेएमएम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है और इंडिया गठबंधन बड़ी जीत की ओर अग्रसर है। कैसे एक जेल से निकले सीएम ने विपक्ष का पासा पलट दिया?

Written By: Kajal Kumari @lallkajal
Published on: November 23, 2024 17:36 IST
jharhand chunav result- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO झारखंड में जेएमएम की बड़ी जीत

हेमंत सोरेन के लिए ये साल यानी 2024 की शुरुआत और फिर इसका अंत भी खास रहा है। इस साल में उन्हें डबल जीत मिली हैं। इस साल में एक महीने से भी कम समय में, झारखंड मुक्ति मोर्चा के इस नेता को एक बार मुश्किल हालात से गुजरना पड़ा तो वहीं मुश्किलों से निकलने के साथ ही जेल से निकलने के बाद उन्होंने साबित कर दिया कि हम हारने वालों में से नहीं हैं। हेमंत सोरेन को भूमि घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने हिरासत में ले लिया था और उन्होंने गिरफ्तार होने से पहले झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन फिर उन्हें कोर्ट ने जमानत दी और अब, वर्ष में एक महीना बचा है और सोरेन ने झारखंड चुनाव में एक प्रचंड जीत के सूत्रधार के रूप में उभरे हैं।

हेमंत ने बताया जीत का मंत्र

झारखंड मुक्ति मोर्चा की बड़ी बढ़त और इंंडिया गठबंधन को प्रदेश में मिली जीत से से यह सुनिश्चित हो गया है कि राज्य में इंडिया गठबंधन सत्ता में बना रहेगा और हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री के रूप में लगातार दूसरा कार्यकाल मिलेगा। इस तरह से एक जीत उन्हें कोर्ट से मिली जमानत और दूसरी जीत जो विधानसभा में मिली है। एक साल में हेमंत सोरेन को दो-दो जीत मिलीं और ये साल उनके लिए यादगार होगा।झारखंड में शानदार जीत के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर अपने दोनों बेटों के साथ मस्ती करते हुए तस्वीर शेयर की और उन्हें अपनी शक्ति बताया।

कई मोर्चों पर हेमंत सोरेन ने लड़ी लड़ाई

31 जनवरी को हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद, उनकी भाभी, सीता सोरेन - उनके दिवंगत भाई दुर्गा सोरेन की पत्नी, मार्च में भाजपा में शामिल हो गईं, ये हेमंत के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था। सीता सोरेन, हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में उनकी पत्नी कल्पना को मुख्यमंत्री बनाने के कथित कदमों से नाराज थीं और मई में 'पार्टी विरोधी' गतिविधियों के लिए उन्हें झामुमो से निष्कासित कर दिया गया था।

पूर्व मुख्यमंत्री को उनकी गिरफ्तारी के पांच महीने बाद जून में झारखंड उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी। अदालत ने माना कि, प्रथम दृष्टया, वह दोषी नहीं थे और केस में उनके अपराध करने की संभावना भी नहीं थी, यह देखते हुए कि कड़े धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत जमानत के लिए दोनों शर्तें पूरी की गई थीं। कोर्ट ने हेमंत को राहत देते हुए जमानत दे दिया।

चंपई सोरेन ने हेमंत से की बेवफाई

चंपई सोरेन, जो झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के करीबी सहयोगी और व्यापक रूप से पार्टी में नंबर तीन के रूप में देखे जाते थे, चंपई को हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था। हालांकि, समस्या तब पैदा होने लगी, जब जुलाई में हेमंत सोरेन की रिहाई के बाद पार्टी ने चंपई सोरेन से इस्तीफा देने के लिए कहा।

जुलाई में इस्तीफा देने के बाद परेशान चंपई सोरेन ने कहा था, "जब नेतृत्व बदला था, तो मुझे जिम्मेदारी दी गई थी। आप घटनाओं का क्रम जानते हैं। हेमंत सोरेन के वापस आने के बाद, हमने (गठबंधन ने) उन्हें अपना नेता चुना और मैंने इस्तीफा दे दिया है। मैं गठबंधन द्वारा लिए गए निर्णय का पालन कर रहा हूं।" 

चंपई सोरेन एक महीने बाद यह दावा करते हुए भाजपा में शामिल हो गए कि उन्हें "अपमानित" किया गया है और वह लोगों को न्याय दिलाना चाहते हैं। भाजपा ने झामुमो-कांग्रेस गठबंधन पर राज्य में "घुसपैठ" की इजाजत देने का भी आरोप लगाया, एक ऐसा मुद्दा जो मतदाताओं के बीच जोर पकड़ता नजर आया। 

परेशानियों के बावजूद हेमंत ने जीत दर्ज की

इन परेशानियों के बावजूद, और राष्ट्रीय जनता दल जैसे सहयोगियों के साथ कुछ सीट-बंटवारे की परेशानी के बावजूद, हेमंत सोरेन ने यह सुनिश्चित किया कि उनकी पार्टी इस साल 81 सदस्यीय विधानसभा में अपनी अनुमानित संख्या 33 तक बढ़ा ले, जो 2019 में 30 थी। कांग्रेस, राजद और सीपीआई (एमएल) ने सत्तारूढ़ गठबंधन की संख्या को 55 तक पहुंचा दिया है, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन केवल 25 सीटों पर आगे है।

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