रांची: पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि राज्य में इस बार बीजेपी की सरकार आएगी और हम 51 प्सस सीट के साथ सरकार बनाएंगे।
जब मरांडी से पूछा गया कि अगर सीटें आईं तो क्या आप सीएम बनेंगे? इस पर मरांडी ने कहा कि मेरी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। जो पार्टी कहेगी, मैं वो करूंगा। मरांडी से पूछा गया कि अगर चंपई सोरेन को सीएम बना दिया गया तो क्या आपको मंजूर होगा? इस पर मरांडी ने कहा कि पार्टी किसी को भी सीएम बना सकती है।
बांग्लादेश घुसपैठ पर भी दिया बयान
मरांडी ने बांग्लादेश घुसपैठ पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि मैं आज देख रहा था कि अब तो मुंबई में भी इनकी जनसंख्या बढ़ गई है। घुसपैठ से संथाल इलाके की पूरी डेमोग्राफी बदल गई है। केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग पर भी मरांडी ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसी अपना काम कर रही है। यह कहना गलत है कि सिर्फ राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण ऐसा हो रहा है। हेमंत सरकार आदिवासी विरोधी सरकार है।
झारखंड में कब हैं चुनाव?
झारखंड में 13 और 20 नवंबर को वोटिंग होगी और नतीजे 23 नवंबर को ही आएंगे। झारखंड में 2 चरणों में चुनाव होंगे। झारखंड में विधानसभा की 81 सीटें हैं। पिछले चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) को 30 सीटें और बीजेपी को 25 सीटें मिली थीं, जबकि 26 सीटें अन्य दलों के खाते में गई थीं। जेएमएम चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।
क्या है मरांडी का इतिहास?
बाबूलाल मरांडी विधानसभा सीट धनवार से चुनावी मैदान में हैं। यहां पर दूसरे चरण में 20 नवंबर को वोटिंग होगी। धनवार झारखंड के गिरिडीह जिले का एक विधानसभा क्षेत्र है। यह कोडरमा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इस सीट के विधायक बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी हैं, जो झारखंड के पहले मख्यमंत्री भी रहे हैं। यह क्षेत्र बाबूलाल मरांडी का गृह क्षेत्र भी है।
2019 के विधानसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष थे। उन्होंने झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर धनवार से चुनाव जीता था। बाद में फरवरी 2020 में बाबूलाल मरांडी बीजेपी में शामिल हो गए थे। इस दौरान उन्होंने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का भी बीजेपी में विलय कर दिया था। साल 2006 में बाबूलाल मरांडी ने बीजेपी में मतभेद होने के बाद पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और झारखंड विकास मोर्चा का गठन कर अलग पार्टी बना ली थी।