Wednesday, December 25, 2024
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Assembly Election Result: झारखंड में BJP को कहां लगा झटका, हेमंत सोरेन को क्या सहानुभूति का मिला फायदा?

झारखंड में अब तक आए रुझानों के अनुसार यहां सत्ताधारी जेएमएम की दोबारा सरकार बन सकती है। ऐसा हुआ तो हेमंत सोरेन राज्य में नया रिकॉर्ड कायम करेंगे। जेएमएम का दोबारा सत्ता में आना इस बात का भी संदेश देगा कि सोरेन के जेल जाने से उनके प्रति जनता में सहानुभूति का सैलाब उमड़ पड़ा।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Nov 23, 2024 12:09 IST, Updated : Nov 23, 2024 12:09 IST
झारखंड विधानसभा चुनाव।
Image Source : PTI झारखंड विधानसभा चुनाव।

Assembly Election Result: झारखंड विधानसभा चुनावों में सभी 81 सीटों के रुझान आ चुके हैं। इसमें भाजपा गठबंधन 31 पर और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) 48 सीटों पर आगे है। इससे यह साफ हो गया है कि झारखंड में हेमंत सोरेन की दोबारा वापसी होने जा रही है। हालांकि अंतिम चुनाव परिणाम आने तक अभी कोई दावा नहीं किया जा सकता। मगर यदि मौजूदा रुझान नतीजों में बदलते हैं तो झारखंड में हेमंत सोरेन की यह ऐतिहासिक जीत होगी। क्योंकि झारखंड की जनता अब तक हर 5 साल में सत्ता को बदलती आई है। अगर जेएमएम की यहां जीत हुई तो वह राज्य की पहली ऐसी पार्टी बन जाएगी जिसने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की। 

मगर सवाल ये है कि महाराष्ट्र में विपक्ष का सूपड़ा साफ कर देने वाली भाजपा से झारखंड में ऐसी कौन सी चूक हो गई, जिससे वह सत्ता के करीब नहीं पहुंच सकी। क्या यह माना जाए कि हेमंत सोरेन का जेल जाना और उन पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई से आदिवासियों में उनके प्रति नई सहानुभूति पैदा कर दी, जिसने सोरेने के खिलाफ राज्य में सरकार की एंटी इन्कंबेंसी को भी खत्म कर दिया, क्या हेमंत सोरेन की महिलाओं के खाते में हर माह 1000 रुपये देने की योजना को दोबारा उनकी सरकार आने पर उसे बढ़ाकर 2500 रुपये प्रतिमाह करने के ऐलान ने महिलाओं को उनके पक्ष में मोड़ दिया? मौजूदा रुझान तो फिलहाल इसी ओर इशारा कर रहे हैं। 

भाजपा का दांव क्यों पड़ा उलटा

भाजपा ने झारखंड चुनाव में हेमंत सोरेन के भ्रष्टाचार और वहां लैंड जेहाद एवं घुसपैठ को मुद्दा बनाया था, लेकिन ऐसा लग रहा है कि हेमंत सोरेन पर ईडी की कार्रवाई और उसके बाद उनका जेल जाना... फिर सोरेन की भाभी सीता सोरेन और उसके बाद चंपाई सोरेन को भाजपा द्वारा अपनी पार्टी में शामिल कराने का काम उसका खेल बिगाड़ गया। ऐसा लगता है कि इन घटनाओं को झारखंडवासियों और आदिवासियों ने हेमंत सोरेन का उत्पीड़न माना ऐसे में जनता की सहानुभूति हेमंत सोरेन के साथ हो गई। लिहाजा भाजपा का कोई भी मुद्दा यहां नहीं चल सका। 

महिलाओं ने दिलाई सोरेन को जीत

अगर रुझान नतीजों में बदलते हैं तो इसका मतलब साफ हो जाएगा कि झारखंड की महिलाओं ने इस बार बढ़चढ़कर हेमंत सोरेन के पक्ष में मतदान किया। इसके पीछे 2 वजहों को मुख्य कारण माना जा सकता है। पहला यह कि उनके खातों में आ रही 1000 रुपये प्रतिमाह की स्कीम का सोरेन की वापसी के बाद बढ़कर 2500 हो जाने की उम्मीद और हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के मैदान में आने से उनके प्रति महिलाओं में उपजी सहानुभूति होगी, जिसने भाजपा को झारखंड में बड़ा झटका दे दिया।

आदिवासियों में बढ़ी सोरेन की पैठ

अगर झारखंड में जेएमएम की वापसी होती है तो यह माना जाएगा कि आदिवासियों में हेमंत सोरेन की पैठ और गहरी हुई है। मुख्यमंत्री रहते उनका जेल जाना। फिर जेल से वापस आकर दोबारा सीएम की सीट पर नियंत्रण कर आदिवासियों का आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ उनके अंदर अपने प्रति सहानुभूति की लहर पैदा करने में वह कामयाब रहे। इसलिए सोरेन सरकार की एंटी इनकंबेंसी भी भाजपा को यहां सत्ता में नहीं ला सकी। आदिवासियों ने सोरेन के खिलाफ हुई हर कार्रवाई को संभवतः अपनी अस्मिता से जोड़ा और वह उनके साथ हो चली। 

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