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झारखंड में आदिवासियों के धर्मांतरण पर हाईकोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार से मांगा जवाब, 27 अगस्त को होगी अगली सुनवाई

झारखंड हाईकोर्ट ने आदिवासियों के धर्मांतरण के मुद्दे पर राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा-झारखंड के किन जिलों में आदिवासियों का धर्मांतरण किया जा रहा है और अब तक कितनों को धर्मांतरित किया गया है?

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published on: July 25, 2024 18:16 IST
Jharkhand, Highcourt- India TV Hindi
Image Source : FILE झारखंड हाईकोर्ट

रांची: झारखंड में आदिवासियों का धर्मांतरण रोकने की मांग को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने दोनों सरकारों से पूछा है कि झारखंड के किन जिलों में आदिवासियों का धर्मांतरण किया जा रहा है और अब तक कितनों को धर्मांतरित किया गया है?  

धर्मांतरण रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे?

कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि इसे रोकने के लिए क्या कार्रवाई की जा रही है? कोर्ट ने दोनों सरकारों को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 27 अगस्त मुकर्रर की है।

आदिवासियों को प्रलोभन देकर धर्मांतरण

जनहित याचिका सोमा उरांव नामक शख्स की ओर से दाखिल की गई है, जिसमें बताया गया है कि चंगाई सभा जैसे आयोजनों के माध्यम से आदिवासियों को प्रलोभन देकर धर्मांतरित कराया जा रहा है। कुछ संगठनों द्वारा षड्यंत्र के तहत यह सब किया जा रहा है। इससे आदिवासियों की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को टारगेट किया जा रहा है। इससे स्वदेशी सांस्कृतिक विरासत के नष्ट होने का खतरा है। इस सिलसिले पर प्रभावी तरीके से रोक लगाने की जरूरत है।

कमेटी बनाई जानी चाहिए

सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने कहा कि आदिवासियों के धर्मांतरण की जांच के लिए सरकार की ओर से कमेटी बनाई जानी चाहिए। उन्होंने हाईकोर्ट को यह भी बताया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है, जहां मामले को गंभीरता से लेते हुए देश के राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार से जवाब मांगा गया है।

निशिकांत दुबे ने संसद में उठाया मामला

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने झारखंड के संथाल परगना और बिहार एवं पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण हिंदुओं के गांव खाली होने का दावा करते हुए सरकार से इन क्षेत्रों को केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग की। लोकसभा में शून्यकाल इस मुद्दे को उठाते हुए झारखंड के गोड्डा से सांसद दुबे ने कहा कि साल 2000 में बिहार से झारखंड के अलग होने के समय संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासियों की आबादी 36 प्रतिशत थी जो आज 26 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ‘‘10 प्रतिशत आदिवासी कहां खो गए, कहां गायब हो गए। सदन कभी इसकी चिंता नहीं करता। झारखंड की सरकार भी कोई कार्रवाई नहीं करती।’’ दुबे ने आरोप लगाया कि बांग्लादेशी घुसपैठिये उनके क्षेत्र में आकर आदिवासी महिलाओं से शादी करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हिंदू, मुसलमान का सवाल नहीं है। मेरे संसदीय क्षेत्र की एक विधानसभा में 267 बूथ पर मुसलमानों की आबादी 117 प्रतिशत बढ़ गई। 

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