Saturday, September 14, 2024
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चंपई सोरेन ने उठाया झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा, बताया BJP के साथ जाने का कारण

झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने बुधवार को राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा खुलकर उठाया है। उन्होंने कहा है कि आदिवासियों का अस्तित्व बचाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।

Edited By: Subhash Kumar @ImSubhashojha
Updated on: August 27, 2024 23:39 IST
बांग्लादेशी घुसपैठ पर बोले चंपई सोरेन।- India TV Hindi
Image Source : PTI बांग्लादेशी घुसपैठ पर बोले चंपई सोरेन।

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। उन्होंने हाल ही में हेमंत सोरेन और जेएमएम के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था। उन्होंने भविष्य के लिए तीन विकल्प खुले रखे थे- पहला राजनीति से संन्यास, दूसरा अपना संगठन खड़ा करना और तीसरा किसी साथी के साथ आगे का सफर तय करना। इनमें से चंपई ने तीसरा विकल्प चुना है। मंगलवार को चंपई सोरेन ने भाजपा के साथ जाने के कारण का भी खुलासा किया है। आइए जानते हैं कि चंपई ने क्या कहा है। 

क्यों छोड़ा संन्यास लेने का प्लान?

चंपई सोरेन ने कहा कि उन्होंने झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास किया है। कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर उनके साथ खड़ी रही और उन्होंने इसी कारण सन्यास लेने का विकल्प नकार दिया। चंपई ने कहा है कि पार्टी में कोई मंच नहीं था जहां वह अपनी पीड़ा को व्यक्त कर पाते क्योंकि उनसे सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं।

बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या- चंपई 

चंपई सोरेन ने कहा है कि आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं। इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है।

आदिवासियों का अस्तित्व बचाना होगा- चंपई

चंपई सोरेन ने कहा कि आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा। पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है। राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा।

भाजपा के साथ क्यों गए चंपई?

चंपई सोरेन ने आगे कहा है कि आदिवासियों के मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही है। इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का फैसला लिया है।

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