Jamu Kashmir: जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म होने के बाद हुए पहले चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन की सरकार को बहुमत मिल गया है। नई सरकार में उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री होंगे। इसका ऐलान खुद उनके पिता फारुख अब्दुल्ला ने मंगलवार को चुनाव नतीजों के बाद कर दिया था। अब उमर अब्दुल्ला के सामने संकट ये है कि वे किसी एक सीट से ही विधायक रह सकते हैं, ऐसे में दो में से कोई एक सीट उन्हें छोड़नी होगी।
बडगाम से 18 हजार वोटों से जीते उमर
जम्मू-कश्मीर में बडगाम विधानसभा सीट से जीत हासिल की और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के आगा सैय्यद मुंतजिर मेहदी को 18,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया। अअब्दुल्ला ने बडगाम में 36,010 वोट हासिल किए जबकि मेहदी को 17,525 वोट मिले। नेकां उपाध्यक्ष ने 2014 में भी दो सीटों श्रीनगर में सोनवार और बडगाम जिले में बीरवाह से चुनाव लड़ा था। उन्होंने बीरवाह सीट से जीत हासिल की थी। अब्दुल्ला उत्तर कश्मीर में बारामूला लोकसभा सीट से 2024 का लोकसभा चुनाव हार गए थे। उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद ने हराया था जो उस समय आतंकवाद के वित्त पोषण के आरोपों में तिहाड़ जेल में बंद थे। रशीद अभी जमानत पर हैं।
गांदरबल से 10 हजार वोटों से जीते उमर
उमर अब्दुल्ला ने पार्टी के गढ़ गांदरबल विधानसभा सीट से भी जीत हासिल की। अब्दुल्ला ने पीडीपी के बशीर अहमद मीर को 10 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त दी। गांदरबल में अब्दुल्ला ने 32,727 वोट हासिल किए और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी मीर से 10,574 वोट के अंतर से जीत हासिल की। मीर को 22,153 मत मिले। नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता ने 2008 में भी गांदरबल सीट जीती थी और पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। गांदरबल से पूर्व विधायक इश्फाक जब्बार को 6,060 वोट मिले और वह तीसरे स्थान पर रहे।
एक सीट तो मुझे छोड़नी पड़ेगी
उमर अब्दुल्ला से जब यह सवाल पूछा गया कि बडगाम और गांदरबल में से वह कौन सी सीट रखेंगे और कौन सी छोड़ेंगे? इस पर उन्होंने कहा कि मैं दो सीटों से चुनाव जीता हूं। एक सीट तो मुझे छोड़नी पड़ेगी। इसके बारे में अभी कोई फैसला नहीं किया है। पार्टी के अंदर और लोगों से विचार विमर्श के बाद इस पर अंतिम निर्णय लूंगा।
नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42 सीटें मिलीं
जम्मू-कश्मीर विधानसभा की 90 सीटों में से सूबे की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) 42 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी तथा उसे अपने दम पर बहुमत से सिर्फ छह सीट कम मिली हैं। वहीं , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) सीट-बंटवारे समझौते के तहत उसे आवंटित एकमात्र सीट जीतने में कामयाब रही, जबकि कांग्रेस पार्टी ने छह सीट जीतीं, जिनमें से पांच कश्मीर घाटी में हैं।