जम्मू-कश्मीर में एक दशक बाद हुए विधानसभा चुनाव को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला। आज सूबे के बारामूला जिले की उरी सीट पर हुई मतगणना में जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार ने बाजी मार ली। NC उम्मीदवार सज्जाद शफी ने निर्दलीय उम्मीदवार ताज मोहिउद्दीन को हराया है। 2014 में भी इस सीट पर जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ही जीत दर्ज की थी। नेशनल कॉन्फ्रेंस के मोहम्मद शफी ने जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के एजाज अली खान को 5,792 वोटों के अंतर से हराया था। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव तीन चरण में हुआ था। पहले चरण का मतदान 18 सितंबर, दूसरे चरण का 25 सितंबर और तीसरे चरण का मतदान एक अक्टूबर को हुआ था।
मुकाबला किसके बीच?
उरी विधानसभा सीट में कुल 6 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे, जिसमें तीन निर्दलीय थे। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस की तरफ से डॉ. सज्जाद शफी, पीडीपी से शेख मुनीब, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (JKPC) से डॉ. बशीर अहमद चालकू चुनाव लड़े। इनके अलावा ताज मोहिउद्दीन, सज्जाद सुभान राथर और मुनीर अहमद ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। इस बार विधानसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं और यह सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस के खाते में आई है। ऐसे में इस बार यहां का चुनाव बेहद खास हो गया था।
उरी में किसका दावा मजबूत?
उरी विधानसभा सीट जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ मानी जाती है। हालांकि कांग्रेस को भी कभी-कभार यहां से जीत मिली है। 2014 में इस सीट पर जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस को जीत मिली थी। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से मोहम्मद शफी मैदान में उतरे थे तो उनके सामने जम्मू-कश्मीर पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के एजाज अली खान, कांग्रेस के तत्कालीन विधायक ताज मुइद्दीन भी मैदान में उतरे थे। मोहम्मद शफी को 24,359 वोट मिले जबकि एजाज अली खान को 18,567 वोट आए। 2 बार के विधायक ताज मुइद्दीन तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 16,588 वोट मिले। बीजेपी ने यहां भी चुनौती पेश की लेकिन वह चौथे स्थान पर रही।
उरी का चुनावी इतिहास
उरी विधानसभा सीट साल 1962 में अस्तित्व में आई और तब से लेकर अब तक जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस का ज्यादातर समय तक कब्जा रहा था। मोहम्मद शफी इस सीट से 6 बार विधायक चुने गए. 1972 में वह निर्दलीय चुनाव जीते थे। फिर 1977, 1983, 1987 और 1996 में लगातार जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर शफी विजयी हुए। साल 2002 के चुनाव में ताज मुइद्दीन विधायक चुने गए। वह जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस से विधायक बने फिर 2008 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए लगातार दूसरी बार विजयी हुए। 2014 के चुनाव में जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने यह सीट फिर से अपने कब्जे में ले ली।
जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर पूरे देश की नजर है क्योंकि राज्य में 10 सालों के बाद चुनाव हुए। ऐसे में सियासी दलों के अलावा पूरे देश की जनता ये देखना चाहती थी कि जम्मू कश्मीर की जनता के मन में क्या है और वह किस पार्टी को अपना नेता मानती है।