Wednesday, March 26, 2025
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जम्मू कश्मीर: टेरर लिंक मामले में 3 सरकारी कर्मचारी बर्खास्त, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने लिया बड़ा एक्शन

बर्खास्त कर्मचारियों में जम्मू कश्मीर पुलिस का एक कांस्टेबल फिरदौस भट्ट भी शामिल है, जो पुलिस में रहते लश्कर के लिए काम करता था।

Reported By : Devendra Parashar Edited By : Niraj Kumar Published : Feb 15, 2025 10:09 IST, Updated : Feb 15, 2025 11:18 IST
Manoj Sinha
Image Source : FILE मनोज सिन्हा

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने टेरर लिंक के चलते जम्मू कश्मीर के 3 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्त कर्मचारियों में जम्मू कश्मीर पुलिस का एक कांस्टेबल फिरदौस भट्ट भी शामिल है, जो पुलिस में रहते लश्कर के लिए काम करता था।

सुरक्षा समीक्षा बैठक के बाद एक्शन

जानकारी के मुताबिक उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने एक पुलिस कांस्टेबल, एक शिक्षक और वन विभाग के एक अर्दली समेत 3 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया। तीनों कर्मचारी अलग-अलग आतंकवाद से जुड़े मामलों में जेल में बंद हैं। यह बड़ी कार्रवाई उपराज्यपाल की अध्यक्षता में सुरक्षा समीक्षा बैठक के एक दिन बाद की गई।

बैठक में उपराज्यपाल ने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवादियों और परदे के पीछे छिपे आतंकी तंत्र को बेअसर करने के लिए आतंकवाद विरोधी अभियान तेज करने का निर्देश दिया था। उपराज्यपाल ने यह भी कहा था कि आतंकवाद का समर्थन और वित्तपोषण करने वालों को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

हर अपराधी को चुकानी होगी कीमत

पिछले 13 फरवरी को मनोज सिन्हा ने कहा था कि “आतंकवाद के हर अपराधी और समर्थक को इसकी कीमत चुकानी होगी। हमें विश्वसनीय खुफिया जानकारी से लैस होने और आतंकवादियों को बेअसर करने तथा नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिक प्रभावी ढंग से कार्य करने की आवश्यकता है। 

फिरदौस अहमद भट पुलिस में रहकर आतंकियों की कर रहा था मदद

फिरदौस अहमद भट2005 में एसपीओ के रूप में नियुक्त हुआ और 2011 में कांस्टेबल बन गया। उसे मई 2024 में गिरफ्तार किया गया। वह कोट भलवाल जेल में बंद है। यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि कांस्टेबल के रूप में पुष्टि किए जाने के बाद फिरदौस भट को जम्मू-कश्मीर पुलिस में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी इकाई के संवेदनशील पद पर तैनात किया गया था। हालांकि, उसने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करना शुरू कर दिया। मई 2024 में फिरदौस भट का पर्दाफाश हुआ जब दो आतंकवादियों- वसीम शाह और अदनान बेग को अनंतनाग में पिस्तौल और हैंड ग्रेनेड के साथ गिरफ्तार किया गया।

जांच में पता चला कि फिरदौस भट ने लश्कर के दो अन्य स्थानीय आतंकवादियों- ओमास और अकीब को वसीम और अदनान को गैर-स्थानीय नागरिकों और अनंतनाग आने वाले पर्यटकों पर आतंकी हमले करने के लिए हथियार और गोला-बारूद मुहैया कराने का काम सौंपा था। पूछताछ के दौरान फिरदौस भट ने सच उगल दिया। फिरदौस भट साजिद जट्ट का करीबी सहयोगी था जिसने उसे पाकिस्तान से एक बड़े आतंकवादी नेटवर्क को संचालित करने में मदद की। 

वन विभाग का अर्दली कर रहा था आतंकियों की मदद

निसार अहमद खान 1996 में वन विभाग में सहायक के तौर पर शामिल हुआ था। फिलहाल उसकी नियुक्ति वेरीनाग, अनंतनाग के वन रेंज कार्यालय में अर्दली के तौर पर थी। जांचकर्ताओं के मुताबिक निसार खान सरकार के भीतर छिपा एक गद्दार है।  वह गुप्त रूप से हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया और अलगाववादी ताकतों के साथ सहयोग करना शुरू कर दिया। आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के लिए जासूसी करता था। हिजबुल मुजाहिदीन के साथ उसके संबंध पहली बार वर्ष 2000 में सामने आए जब अनंतनाग जिले के चमारन में एक बारूदी सुरंग विस्फोट हुआ। इस हमले को हिजबुल मुजाहिदीन ने अंजाम दिया था जिसमें जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन बिजली मंत्री गुलाम हसन भट मारे गए थे।

नासिर खान और एक अन्य आरोपी ने तत्कालीन मंत्री और दो पुलिसकर्मियों की हत्या के लिए आतंकवादियों को रसद सहायता प्रदान की थी। नासिर ने विस्फोट में इस्तेमाल आरडीएक्स की तस्करी में भी मदद की और आतंकी हमले का समन्वय किया। उसे गिरफ्तार किया गया, आरोप पत्र दायर किया गया लेकिन बाद में गवाहों के मुकर जाने और अदालतों के अंदर और बाहर डराने वाले माहौल के कारण 2006 में उसे बरी कर दिया गया था। सुरक्षा अधिकारियों ने कहा, "यहां तक ​​कि अधिकारी और गवाह भी नासिर जैसे लोगों के खिलाफ अदालत में गवाही देने से कतराते थे।" बाद के दिनों में भी कई आतंकी वारदातों में उसकी संलिप्तता उजागर हुई थी।

शिक्षक बन गया लश्कर का ओवरग्राउंड वर्कर

रियासी निवासी अशरफ भट को 2008 में रहबर-ए-तालीम शिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया था।  फिर उसे नियमित किया गया और जून 2013 में स्थायी शिक्षक बना दिया गया। एक शिक्षक के रूप में काम करते हुए अशरफ ने लश्कर-ए-तैयबा के प्रति निष्ठा की शपथ ली और एक ओवरग्राउंड वर्कर बन गया। वर्ष 2022 में उसकी गतिविधियों का पता चला और उसे गिरफ्तार कर लिया गया और वर्तमान में वह रियासी की जिला जेल में बंद है। जाँच के दौरान, यह पता चला कि अशरफ भट का हैंडलर मोस्ट वांटेड लश्कर आतंकवादी मोहम्मद कासिम था, जो पाकिस्तान में रहता है।

सूत्रों के मुताबिक लश्कर-ए-तैयबा ने उसे बहुत उपयोगी पाया, क्योंकि एक शिक्षक के तौर पर अशरफ भट युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और एक सम्मानित पेशे की आड़ में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सबसे उपयुक्त था। उसने आतंकी गतिविधियों के लिए वित्त जुटाने और हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों के परिवहन में कोऑर्डिनेट करने में लश्कर-ए-तैयबा की मदद की। 

 

 

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