श्रीगुफवारा-बिजबेहरा: जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए आज वोटों की गिनती हो रही है। ये चुनाव तीन चरणों में हुआ था, जिसमें पहले चरण का चुनाव 18 सितंबर, दूसरे चरण का चुनाव 25 सितंबर और तीसरे चरण का चुनाव एक अक्तूबर को हुआ था। आज कश्मीर की श्रीगुफवारा-बिजबेहरा सीट पर सभी की नजरें हैं, इस सीट पर जीत का सेहरा किसने सिर पर सजेगा, ये बहुत जल्द साफ हो जाएगा। रुझानों में पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती पीछे चल रही हैं।
मुकाबला किसके बीच?
श्रीगुफवारा-बिजबेहरा विधानसभा सीट पर इस बार चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने के आसार हैं। कांग्रेस ने श्रीगुफवारा-बिजबेहरा विधानसभा सीट पर बशीर अहमद वीरी को टिकट दिया है। नेशनल कांफ्रेंस के साथ कांग्रेस का गठबंधन होने के चलते यह सीट कांग्रेस के खाते में आई है। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने इस विधानसभा सीट से सोफी यूसुफ को चुनाव मैदान में उतारा है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से इल्तिजा मुफ्ती चुनाव मैदान में ताल ठोकर रही हैं। बता दें कि इल्तिजा मुफ्ती पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती की बेटी हैं।
श्रीगुफवारा-बिजबेहरा में कौन ज्यादा मजबूत?
इस सीट को पीडीपी का गढ़ कहा जाता है। 1999 से इस पर पीडीपी का कब्जा रहा है। 2014 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच काफी कड़ा मुकाबला हुआ था। हालांकि बाजी पीडीपी ने मारी थी। पीडीपी के अब्दुल रहमान भट्ट ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के बशीर अहमद शाह को 2,868 वोटों से हराया था। अब्दुल रहमान को कुल 23,581 वोट मिले थे जबकि बशील 20,713 वोट मिले थे।
श्रीगुफवारा-बिजबेहरा सीट का इतिहास
श्रीगुफवारा-बिजबेहरा विधानसभा सीट अनंतनाग राजौरी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। यह विधानसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई थी। 1967 के विधानसभा चुनाव में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने इस सीट से जीत हासिल की थी। 1967 का विधानसभा चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था और जीत हासिल की थी। इसके बाद 1972 का चुनाव भी उन्होंने जीता। 1977 में इस सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जीत हासिल की थी। फिर अगले दो विधानसभा चुनाव तक इस सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का ही कब्जा रहा। 1996 में इस सीट पर कांग्रेस की वापसी हुई और महबूबा मुफ्ती ने जीत दर्ज की। इसके बाद 1999 में महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी के टिकट पर जीत दर्ज की। तब से इस सीट पर पीडीपी का कब्जा रहा है।
जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर पूरे देश की नजर है क्योंकि राज्य में 10 सालों के बाद चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में सियासी दलों के अलावा पूरे देश की जनता ये देखना चाहती है कि जम्मू कश्मीर की जनता के मन में क्या है और वह किस पार्टी को अपना नेता मानती है। ये देखना दिलचस्प होगा कि जम्मू कश्मीर में किस पार्टी को सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे और कौन पीछे रहेगा।