शशि अबरोल की पत्नी सज-संवरकर फोन की घंटी बजने का इंतजार कर रही थी ताकि वह करवा चौथ का व्रत खोल सके जो उसने अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखा था। लेकिन इसके बजाय यह खबर आई कि कश्मीर के गांदरबल जिले में हुए एक आतंकी हमले में उसके पति की मौत हो गई है। शशि अबरोल की मौत की खबर रविवार देर रात चांद निकलने के काफी समय बाद आई। करवा चौथ का व्रत रखने वाली लाखों हिंदू महिलाएं अपना दिन भर का उपवास चंद्रमा देखने के बाद तोड़ती हैं। रुचि अबरोल ने भी अपने पति के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था।
रविवार को श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक सुरंग निर्माण स्थल पर आतंकवादियों के हमले में मारे गए सात लोगों में शशि अबरोल भी शामिल थे। वह आर्किटेक्चरल डिजाइनर के तौर पर कार्यरत थे। हमला उस समय हुआ जब कर्मियों की टीम देर शाम काम से अपने शिविर लौट चुकी थी। अगली सुबह, शशि की पत्नी रुचि अपनी तीन साल की बेटी को सीने से लगाए खड़ी थी- क्रुद्ध, व्यथित। उसके चेहरे पर जो भाव थे, वह साफ दिखा रहे थे कि उसके लिए खबर पर यकीन करना मुश्किल था। दंपति का एक बेटा भी है जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है।
फोन का इंतजार कर रही पत्नी को मिली मनहूस खबर
रुचि ने सिसकते हुए कहा, ‘‘मैंने उनसे (शशि) शाम को बात की थी। उन्होंने किसी धमकी का जिक्र नहीं किया। मैं करवा चौथ व्रत के लिए मंदिर जा रही थी और हमारी थोड़ी सी बातचीत हुई। मंदिर से लौटने के बाद मैंने उन्हें फोन करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। उसके बाद उनका फोन बंद हो गया।’’ जम्मू के तालाब तिल्लो इलाके में स्थित अपने घर पर अपनी सास के साथ बैठी रुचि ने कहा, ‘‘मैंने उनके फोन का इंतजार किया, लेकिन मुझे हमले के बारे में कुछ पता नहीं था।’’ परिवार ने कहा कि देर रात तक किसी ने उन्हें नहीं बताया कि क्या हुआ और बाद में भी हमले के बारे में जानकारी मीडिया के माध्यम से ही हुई।
'करवा चौथ का त्यौहार तबाही का दिन बन गया'
रुचि की भाभी दिव्या ने कहा कि रुचि अपना उपवास तोड़ने से इनकार कर रही थी। उन्होंने कहा, ‘‘उनकी (रुचि) जिंदगी बिखर गई है। करवा चौथ का त्यौहार हमारे लिए तबाही का दिन बन गया। हमारे शशि जी को आतंकवादियों ने कायराना हरकत में मार डाला।’’ रुचि ने अपनी पूजा कर ली थी और अपने पति के वीडियो कॉल का इंतज़ार कर रही थी। दिव्या ने कहा, ‘‘देर रात शशि जी का फोन बंद होने पर हम चिंतित हो गए थे। हालांकि हमने रुचि को सांत्वना देने की कोशिश की। हमें उनकी मृत्यु के बारे में मीडिया से ही पता चला, जिसने हम सभी को चौंका दिया।’’
परिवार में एकमात्र कमाने वाले थे शशि भूषण
शशि परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे। दिव्या ने कहा, ‘‘इससे उन्हें क्या मिला? अब वह अपने बच्चों का भरण पोषण कैसे करेगी? हम उन्हें श्राप देते हैं।’’ सोनमर्ग में निर्माण कंपनी एपीसीओ के लिए पिछले छह वर्षों से काम कर रहे शशि आखिरी बार दो महीने पहले अपने बेटे के कॉलेज एडमिशन के दौरान घर आए थे। दिव्या ने कहा, ‘‘उनका लक्ष्य अपने बेटे को एक होनहार इंजीनियर के रूप में देखना था।’’ शशि की मृत्यु की खबर फैलते ही सैकड़ों पड़ोसी, रिश्तेदार और अन्य लोग शोक व्यक्त करने के लिए उनके घर पहुंचे।
उमर अब्दुल्ला के शपथ लेने के 4 दिन बाद हुई घटना
यह घटना उमर अब्दुल्ला के जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के ठीक चार दिन बाद हुई। परिवार ने सरकार से वित्तीय सहायता प्रदान करने का आह्वान किया। शशि के पिता जे एल अबरोल ने कहा कि उन्हें कश्मीर में कभी किसी खतरे की आशंका नहीं रही थी। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी बहू के लिए नौकरी की मांग करते हैं ताकि परिवार का भरण-पोषण हो सके।’’ परिवार के एक रिश्तेदार नवीन सूरी ने कहा, ‘‘परिवार में कोई कमाने वाला नहीं बचा है। उनकी पत्नी, जो गृहिणी हैं, बच्चों का भरण पोषण कैसे कर पाएंगी? उन्हें सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए। बच्चों की देखभाल करना सरकार का कर्तव्य है।’’ जम्मू के अतिरिक्त उपायुक्त शिशिर गुप्ता के अनुसार, क्षति की भरपाई नहीं की जा सकती, लेकिन शशि के पार्थिव शरीर को लाने की प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है। (भाषा इनपुट्स के साथ)
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