श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिए जाने तक विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। अब्दुल्ला ने कहा कि ‘‘मैं किसी भी चीज के लिए अपनी संभावनाओं की कल्पना नहीं करता। मैं मुख्यमंत्री पद की आकांक्षा नहीं रखता और मैं निश्चित रूप से केंद्र शासित प्रदेश का नेतृत्व करने की आकांक्षा नहीं रखता।’’ उमर ने कहा कि ‘‘मैंने यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर जिस मौजूदा स्थिति में स्वयं है, उसमें मैं विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहा हूं। मैं यह बात 2020 से ही कह रहा हूं और मेरे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।’’
भाजपा पर साधा निशाना
अनुच्छेद-370 निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में विकास के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दावों पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मानव विकास के किसी भी पैमाने पर जम्मू-कश्मीर देश के कुछ तथाकथित विकसित राज्यों से कहीं बेहतर है। उन्होंने कहा कि ‘‘उनके अनुसार, नेकां ने कुछ नहीं किया, लेकिन हमने विश्वविद्यालय स्तर तक मुफ्त शिक्षा दी। क्या आप इससे इनकार कर सकते हैं? हमने अपने ऐतिहासिक भूमि सुधारों में बिना कोई मुआवजा लिए लोगों को जमीन सौंप दी, जिसे देश में कहीं भी दोहराया नहीं गया है।’’ अब्दुल्ला ने कहा कि ‘‘जम्मू-कश्मीर आज देश में एकमात्र ऐसी जगह है जहां दलित अपना सिर ऊंचा करके चल सकते हैं क्योंकि वे जमीन के मालिक हैं। क्या हम इसे भूल सकते हैं? जम्मू-कश्मीर में गरीबी का स्तर देश में सबसे निम्न है। आखिरी बार आपने कब सुना था कि जम्मू-कश्मीर में कोई भूख से मर गया।’’ अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकारों द्वारा शुरू की गई अस्पतालों और विश्वविद्यालयों जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘‘यह रेलवे परियोजना जिसका वे जिक्र कर रहे हैं, कितने प्रधानमंत्रियों ने इसकी आधारशिला रखी है। इसे दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शुरू किया था, जब काम शुरू हुआ तो मैं स्कूल में था, शर्म करो।’’
कम नहीं हुआ आतंकवाद
सुरक्षा के हालात पर पूर्व मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि पथराव की घटनाओं में कमी आई है लेकिन साथ ही कहा कि आतंकवाद अब भी है क्योंकि आतंकवादी हमले हो रहे हैं। अब्दुल्ला ने सवाल किया कि ‘‘अगर सब कुछ सामान्य था, तो हमने संसद और विधानसभा के लिए एक साथ चुनाव क्यों नहीं कराए? उन्होंने क्या कारण बताए? उन्होंने कहा कि उनके पास पर्याप्त सुरक्षा बल नहीं हैं।’’ उन्होंने विरोध प्रदर्शनों में कमी पर कहा कि अगर अलगाववाद का समर्थन करने वालों का दिल बदल गया होता तो यह एक अच्छा विकास होता। अब्दुल्ला ने कहा कि ‘‘मैं तब सामान्य स्थिति का दावा करूंगा जब यह सब अपनी मर्जी से हो रहा हो, जब आप उन लोगों को बदल दें जो भारत के हितों के खिलाफ थे और अब वे देश के लिए हों।’’ जब उनसे पूछा गया कि कश्मीर में लोकसभा सीट पर छद्म प्रतिनिधियों का समर्थन करने के बजाय क्या भाजपा अपने उम्मीदवार खड़ी करेगी तो अब्दुल्ला ने कहा कि ‘‘उन्हें अपने उम्मीदवार खड़ा करने दीजिए, मैं उन्हें अपने उम्मीदवार खड़ा करने के लिए प्रेरित करने की कोशिश कर रहा हूं।’’ (इनपुट- भाषा)
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