लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सभी दल अपनी-अपनी तैयारी जोर-शोर से कर रहे हैं। कई दिग्गज नेता भी इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जिनमें से एक जम्मू-कश्मीर में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) के नेता गुलाम नबी आजाद भी हैं। हालांकि, अब खबर आई है कि गुलाम नबी आजाद ने लोकसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा की है। आपको बता दें कि गुलाम नबी की पार्टी DPAP ने उन्हें जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था।
एडवोकेट मोहम्मद सलीम बने नए उम्मीदवार
गुलाम नबी आजाद ने अनंतनाग लोकसभा सीट से नाम वापस ले लिया है। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी की ओर से एडवोकेट मोहम्मद सलीम को आजाद की जगह अनंतनाग लोकसभा सीट से चुनाव का टिकट दिया गया है। सलीम पारे ने कहा है कि गुलाम नबी आज़ाद ने दक्षिण कश्मीर के नेताओं के साथ बैठक की। कई चीजों पर विचार-विमर्श हुआ। आखिरकार, मेरा नाम प्रस्तावित किया गया, मैं गुलाम नबी का आभारी हूं।
उमर अब्दुल्ला ने भी दिया बयान
बीते दिनों गुलाम नबी आजाद ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा था। अब उमर अब्दुल्ला ने जवाब देते हुए कहा कि मैं एक फ्रस्टेटेड इंसान के कितने बयानों का जवाब दूं? अब वो इलेक्शन से भी फारिक हो चुके हैं, किसी और सीट पर उनके उम्मीदवार तो हैं नहीं। अब उनको दिल्ली जा के, क्यूंकि वो दिल्ली में रहते हैं, अपना इलाज कराना चाहिए।
जनता चाहती है कि गुलाम नबी सीएम बने- सलीम पारे
सलीम पारे ने कहा कि आजाद ने मुझ पर भरोसा किया, मैं सभी की उम्मीदों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा। उन्होंने कहा कि मैं चाहता था कि गुलाम नबी आजाद यहां से चुनाव लड़ें लेकिन एक राजनीतिक कार्यकर्ता के तौर पर मैं लोगों से जुड़ा हूं। राज्य के लोग चाहते हैं कि गुलाम नबी आज़ाद जम्मू-कश्मीर की कमान संभालें, वे उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।
नेशनल कॉन्फ्रेंस की तरफ से मियां अल्ताफ मैदान में
नेशनल कॉन्फ्रेंस की तरफ से पूर्व मंत्री और कंगन से पूर्व विधायक मियां अल्ताफ अनंतनाग-राजौरी निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार हैं। मियां अल्ताफ गांदरबल जिले के वांगत कंगन के रहने वाले हैं। गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी समुदाय के लिए मियां अल्ताफ एक लोकप्रिया नेता के तौर पर जाने जाते हैं। मियां अल्ताफ अब तक लगातार 6 बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस की तरफ से जीतते आए हैं। बता दें कि मियां अल्ताफ के परिवार की एक लंबी राजनीतिक प्रतिष्ठा है। मियां निजाम-उद-दीन लारवी, मियां बशीर अहमद लारवी और मियां अल्ताफ अहमद राजनीति में कदम रखने के बाद से कोई चुनाव नहीं हारे।
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