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"मैंने अपने बच्चों को बस की सीट के नीचे छिपा दिया", आतंकी हमले में बचे पीड़ित ने सुनाई आपबीती

वैष्णो देवी में तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर सोमवार को आतंकियों ने गोलीबारी की। इस हमले में कई लोग मारे गए। इस घटना में जीवित बचे पीड़ित परिवार ने इस घटना की आपबीती बताई और कहा कि वह इस हमले को कभी नहीं भूल पाएंगे।

Written By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published on: June 10, 2024 22:39 IST
Katra terror attack survivor narrates ordeal said I hid my children under the bus seat- India TV Hindi
Image Source : ANI आतंकी हमले में बचे पीड़ित ने सुनाई आपबीती

"जब पहाड़ियों से गोलियां चल रही थीं तो मैंने नीचे झुककर अपने दोनों बच्चों को बस की सीट के नीचे छिपा दिया। मैं दहशत के उन 20-25 मिनटों को कभी नहीं भूल पाऊंगा।" यह बात जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर सोमवार को हुए घातक आतंकी हमले में जीवित बचे भवानी शंकर ने कही। दिल्ली के तुगलकबाद एक्सटेंशन निवासी शंकर ने कहा कि वह छह जून को अपनी शादी की सालगिरह पर कटरा स्थित वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन करने गए थे। 

आतंकी हमले में बचे पीड़ित की कहानी

उन्होंने कहा कि उनके साथ उनकी पत्नी राधा देवी और पांच वर्षीय बेटी दीक्षा तथा तीन साल का बेटा राघव भी था। शंकर और उनके परिवार के सदस्य आतंकी हमले में घायल हुए दिल्ली के पांच लोगों में शामिल हैं जिनका जम्मू कश्मीर के अस्पतालों में इलाज हो रहा है। शिव खोरी मंदिर से कटरा की ओर जा रही 53 सीट वाली बस पर आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में नौ लोगों की मौत हो गई और 41 अन्य घायल हो गए। हमले की वजह से बस सड़क से फिसलकर गहरी खाई में गिर गई। घटना रविवार शाम रियासी के पोनी क्षेत्र के तेरयाथ गांव के पास हुई। 

पीड़ित ने सुनाई आपबीती

शंकर ने पीटीआई-भाषा से फोन पर कहा, ''छह जून को हम दिल्ली से श्री शक्ति एक्सप्रेस में सवार हुए और कटरा पहुंचे। सात जून को हम वैष्णो देवी मंदिर गए और आठ जून की आधी रात तक अपने होटल के कमरे में लौट आए।'' उन्होंने कहा, "नौ जून को हमने कटरा से शिव खोरी मंदिर के लिए बस ली और यात्रा के लिए 250 रुपये के दो टिकट खरीदे।" शंकर ने कहा कि मंदिर से लौटते वक्त बस पर हमला हुआ। उन्होंने कहा, "बस में हमारे बच्चे हमारी गोद में थे। हमने शाम लगभग छह बजे गोलियों की आवाज सुनी। केवल 10-15 सेकंड में, 20-25 से अधिक गोलियां चलाई गईं। एक गोली हमारे चालक को लगी और बस नियंत्रण से बाहर हो गई।'' 

पत्थरों और पेड़ों में फंसे लोग

शंकर ने बताया कि बस हवा में घूम गई और बाद में अपनी सीधी स्थिति में आ गई लेकिन इसके पहिए पहाड़ी इलाके में पत्थरों और पेड़ों में फंस गए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं नीचे झुक गया और अपने दोनों बच्चों को सीट के नीचे छिपा दिया क्योंकि पहाड़ियों से गोलीबारी जारी थी। हमने यह सोचकर एक-दूसरे को कसकर गले लगाया कि यह हमारे जीवन का अंतिम क्षण हो सकता है। कुछ लोग चिल्ला रहे थे-हमला हो गया है।’’ 

पीड़ित बोले- इस घटना को कभी नहीं भूलेंगे

शंकर ने कहा, "हम 20-25 मिनट तक इसी स्थिति में रहे क्योंकि जब हम खाई में पड़े थे तो कुछ और गोलियां चलाई गईं।" उन्होंने कहा कि वह इस भयावह घटना को कभी नहीं भूलेंगे। शंकर ने कहा कि कुछ यात्री बस से बाहर गिर गए और बचाव दल के पहुंचने तक हर कोई चिल्ला रहा था। वह और उनके दो बच्चे एक ही अस्पताल में भर्ती हैं जबकि उनकी पत्नी का इलाज जम्मू-कश्मीर के दूसरे अस्पताल में हो रहा है। 

"मेरे बेटे का हाथ टूट गया, सिर में चोटें आई"

शंकर ने कहा, "मेरे बेटे का हाथ टूट गया है और मेरी बेटी के सिर में चोटें आई हैं। मेरी पीठ में अंदरूनी चोटें आई हैं और मेरी पत्नी के सिर तथा पैरों में कई चोटें आई हैं।" हमले में जीवित बचे शंकर दिल्ली में इंडियन ऑयल में तैनात एक अधिकारी के यहां चालक के पद पर कार्यरत हैं। वह अपनी पत्नी, पिता और एक अन्य रिश्तेदार के साथ दिल्ली के तुगलकाबाद एक्सटेंशन में रहते हैं। उन्होंने कहा, ''मैं दिल्ली में अपने परिवार के सदस्यों के साथ फोन के जरिए नियमित संपर्क में हूं।'' 

(इनपुट-भाषा)

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