Friday, November 22, 2024
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क्या है चिल्लई कलां, जो जम्मू कश्मीर में कल से शुरू होने वाला है, जानें इसकी हर खूबी

चिल्लई कलां में कश्मीरी लोगो का रोजाना का जीवन पूरी तरह बदल जाता है। कश्मीर का पारंपरिक पहनावा फेरन और गर्मी पाने के लिए उपयोग होने वाली कांगड़ी हर शख्स के साथ दिखने लगती है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: December 20, 2023 23:22 IST
jammu kashmir- India TV Hindi
Image Source : PTI जम्मू कश्मीर में सर्दी का सितम जारी

श्रीनगर: कश्मीर में न्यूनतम तापमान हिमांक बिंदु से कई डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया और घाटी में 40 दिनों की भीषण सर्दी का दौर शुरू होने वाला है, जिसे 'चिल्लई कलां' कहते हैं। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में मंगलवार रात न्यूनतम तापमान शून्य से 4.4 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। पिछली रात यह तापमान शून्य से नीचे 3.7 डिग्री था।

शून्य से नीचे गिरा दक्षिण कश्मीर का तापमान

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में न्यूनतम तापमान शून्य से 6.3 डिग्री सेल्सियस नीचे तथा बारामुला जिले के प्रसिद्ध स्की रिसॉर्ट गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान शून्य से 4.4 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। काजीगुंद में न्यूनतम तापमान शून्य से चार डिग्री सेल्सियस नीचे, कोकेरनाग में शून्य से 3.3 डिग्री सेल्सियस नीचे और कुपवाड़ा में शून्य से 3.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।

बर्फीली सर्दियों में 'पारंपरिक' कांगड़ी देती है कश्मीरियों का साथ

मौसम कार्यालय ने कश्मीर में अगले कुछ दिनों तक मौसम शुष्क रहने तथा न्यूनतम तापमान में और गिरावट आने का अनुमान जताया है। कश्मीर के कई इलाकों में बिजली की समस्या होने की वजह से लोगों को ‘कांगड़ी’ का इस्तेमाल करते देखा गया। ठंड के दिनों में जम्मू और कश्मीर के लोग खुद को कांगड़ी से गर्म रखते हैं। कांगडी लकड़ी की टोकरी के अंदर रखा एक मिट्टी का बर्तन होता है, जिसमें चारकोल जलाया जाता है। कड़कड़ाती ठंड में यह एक पोर्टेबल और मूवेवल हीटर की तरह होता है, जिसे ठंड से बचने के लिए कश्मीरी ऊनी कपड़ों के अंदर रखते हैं। ख़ुद को गर्म रखने का कश्मीरियों का यह एक पुराना तरीका है। तापमान में गिरावट के कारण धीमी गति के बहाव वाले कई जलस्रोत जम गए हैं तथा बच्चों और बुजुर्गों में श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ गई हैं।

kashmir snowfall
Image Source : PTI
कश्मीर में बर्फबारी

कश्मीर में सर्दी के सितम के 40 दिन

'चिल्लई-कलां' एक टाइम पीरियड को कहा जाता है, जिसमें काफी ठंड पड़ती है। चिल्लई-कलां 40 दिनों की भीषण सर्दी की अवधि है जब इस क्षेत्र में शीत लहर चलती है और तापमान इतने नीचे चला जाता है जिससे प्रख्यात डल झील सहित जल निकाय जम जाते हैं। हर तरह बर्फ ही बर्फ दिखाई देती है। घाटी के कई हिस्से इस स्थिति का सामना करते हैं। इस अवधि में ज्यादातर हिस्सों में, विशेषकर ऊंचे इलाकों में बार बार और बहुत बर्फबारी होती है। 'चिल्लई-कलां' की शुरुआत 21 दिसंबर से होती है और 31 जनवरी को यह समाप्त होगा। इसके बाद कश्मीर में 20 दिनों का 'चिल्लई-खुर्द' (छोटी ठंड) और 10 दिनों का 'चिल्लई-बच्चा' (हल्की ठंड) का दौर रहता है। इस दौरान शीत लहर जारी रहती है।

पूरे इलाके को एक नई भव्यता से भर देते हैं बर्फ के पहाड़

इस दौरान कश्मीर में भारी बर्फबारी होती है जिसके कारण नदियां और झीलें पूरी तरह जम जाती हैं। इस समय कश्मीर के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान जमाव बिंदु से नीचे चला जाता है। इस दौर में बर्फ से ढके पहाड़, मैदान और सफेद दिखने वाले चिनार के पेड़ पूरे इलाके को एक नई भव्यता से भर देते हैं। फारसी में चिल्लई कलां का मतलब कड़ी सर्दी होता है। इस समय शीत लहर अपने चरम पर पहुंच जाती है। यहां तक कि मशहूर डल झील भी जनवरी के अंत तक ठंड के कारण जम जाती है।

चिल्लई कलां के दौरान कश्मीरी लोगों का जीवन

चिल्लई कलां में कश्मीरी लोगो का रोजाना का जीवन पूरी तरह बदल जाता है। कश्मीर का पारंपरिक पहनावा फेरन और गर्मी पाने के लिए उपयोग होने वाली कांगड़ी हर शख्स के साथ दिखने लगती है।

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