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'चिल्लई कलां' खत्म होने में बस 7 दिन बाकी, कश्मीर में बर्फबारी की उम्मीदें धूमिल

'चिल्लई-कलां' एक टाइम पीरियड को कहा जाता है, जिसमें काफी ठंड पड़ती है। चिल्लई-कलां 40 दिनों की भीषण सर्दी की अवधि है जब इस क्षेत्र में शीत लहर चलती है और तापमान इतने नीचे चला जाता है जिससे प्रख्यात डल झील सहित जल निकाय जम जाते हैं।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: January 23, 2024 12:09 IST
कश्मीर में शुष्क ठंड- India TV Hindi
Image Source : PTI कश्मीर में शुष्क ठंड

श्रीनगर: अत्यधिक शुष्क ठंड ने कश्मीर पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है और जम्मू में भी मंगलवार को कोहरे तथा ठंड ने जनजीवन प्रभावित किया। कश्मीर में बर्फबारी जारी है, जबकि 40 दिनों तक चलने वाला 'चिल्लई कलां' खत्म होने में सिर्फ 7 दिन शेष है।

कहां-कितना रहा तापमान?

घाटी में शुष्क ठंड और बढ़ गई। श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से पांच डिग्री सेल्सियस नीचे, गुलमर्ग में शून्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस नीचे और पहलगाम में शून्य से 6.2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। लद्दाख क्षेत्र के लेह शहर में न्यूनतम तापमान शून्य से 15 डिग्री सेल्सियस और कारगिल में 11.8 डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया।

जम्मू शहर में न्यूनतम तापमान पांच डिग्री सेल्सियस, कटरा में 4.1 डिग्री सेल्सियस, बटोटे में 1.6 डिग्री सेल्सियस, भद्रवाह में शून्य से 0.4 डिग्री डिग्री सेल्सियस नीचे और बनिहाल में शून्य से 1.8 डिग्री डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।

कश्मीर में सर्दी के सितम के 40 दिन

'चिल्लई-कलां' एक टाइम पीरियड को कहा जाता है, जिसमें काफी ठंड पड़ती है। चिल्लई-कलां 40 दिनों की भीषण सर्दी की अवधि है जब इस क्षेत्र में शीत लहर चलती है और तापमान इतने नीचे चला जाता है जिससे प्रख्यात डल झील सहित जल निकाय जम जाते हैं। हर तरह बर्फ ही बर्फ दिखाई देती है। घाटी के कई हिस्से इस स्थिति का सामना करते हैं। इस अवधि में ज्यादातर हिस्सों में, विशेषकर ऊंचे इलाकों में बार बार और बहुत बर्फबारी होती है। 'चिल्लई-कलां' की शुरुआत 21 दिसंबर से होती है और 31 जनवरी को यह समाप्त होगा। इसके बाद कश्मीर में 20 दिनों का 'चिल्लई-खुर्द' (छोटी ठंड) और 10 दिनों का 'चिल्लई-बच्चा' (हल्की ठंड) का दौर रहता है। इस दौरान शीत लहर जारी रहती है।

भले ही कठोर सर्दी की 40 दिनों की लंबी अवधि होती है, लेकिन कश्मीरी इस बार बर्फ रहित सर्दी से डरे हुए हैं जो गर्मियों के महीनों में आपदा का कारण बनेगी।

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