श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस के मेनिफेस्टो पर कश्मीरी पंडितों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। पंडितों का कहना है कि NC के मेनिफेस्टो में प्राचीन शंकराचार्य मंदिर को तख्त-ए-सुलेमान और हरी पर्वत को कोह-ए-मारां का नाम देकर हिंदू इतिहास को मिटाने की साजिश रची गई है। इस मसले को लेकर बीजेपी भी हमलावर हो गई है और पार्टी ने कहा है कि मुस्लिम सेंटीमेंट को उभारकर वोट हासिल करने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस धर्म की राजनीति कर रही है।
‘मुस्लिमों का वोट हासिल करने की कोशिश है’
बीजेपी के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने इस मसले पर कहा, ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस के मेनिफेस्टो में शंकराचार्य की जगह तख्त-ए-सुलेमान का नाम लिखना दिखाता है कि पार्टी ने रिलिजियस सेंटीमेंट्स के साथ खेला है। शंकराचार्य का मंदिर एक ऐतिहासिक जगह है और यह सोची समझी साजिश है। नेशनल कांफ्रेंस की कोशिश है कि वह कश्मीर के मुसलमान को बहला कर चुनाव में उनका वोट हासिल कर सके क्योंकि कश्मीर क्षेत्र में 98 फीसदी मुस्लिम वोट हैं।’
‘हमारी पार्टी धर्म की राजनीति नहीं करती है’
वहीं, मेनिफेस्टो पर उठ रहे सवालों पर नेशनल कांफ्रेंस के सीनियर नेता नासिर असलम वानी ने कहा, ‘यह सवाल बिल्कुल गलत है। हमारी ऐसी कोई मंशा नहीं है। जो लोग सवाल उठा रहे हैं उन्हें इतिहास के बारे में जानना चाहिए। हमने कोई नाम नहीं बदला है। हमारी पार्टी का नारा है हिंदू, मुस्लिम, सिख इत्तिहाद। हमारी पार्टी इसी वजूद पर बनी है। हम धर्म की राजनीति नहीं करते हैं और न ही कभी करेंगे। हम सभी धर्म को साथ लेकर चलते हैं। हमने हमेशा कश्मीरी पंडितों की वापसी की सबसे ज्यादा कोशिश की है।’
‘जिसको जिसे जो कहना है, कह सकता है’
इस मुद्दे पर अपनी पार्टी के सीनियर नेता जुनैद अजीम मट्टू ने कहा, ‘कुछ लोग शंकराचार्य के मंदिर को तख्त-ए-सुलेमान कहते हैं तो कोई हरी पर्वत को कोह-ए-मारां कहता है। इसमें कोई विवाद नहीं है। इस पर बहस करना बेकार है। आज की तारीख में कोई प्रयागराज कहता है तो कोई इलाहाबाद, लेकिन इतिहास अलग चीज है। तख्त-ए-सुलेमान और शंकराचार्य मंदिर का अपना-अपना इतिहास है। जिनको शंकराचार्य मंदिर कहना है, वे कह सकते हैं जिनको तख्त-ए-सुलेमान कहना है, वे भी कह सकते हैं। इसमें विवाद की कोई गुंजाइश नहीं है।’