श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के बारामूला सीट से सांसद इंजीनियर राशीद का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाना महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि कश्मीरियों के लिए काम करना जरूरी है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में संभावित सरकार को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह बात कही।
इंजीनियर राशीद जम्मू-कश्मीर अवानी इत्तेहाद पार्टी के संस्थापक हैं। चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें प्रचार के लिए काफी कम समय मिला, कॉमन सिंबल भी नहीं मिला साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि BJP और इलेक्शन कमीशन ने पूरी कोशिश की कि हमें प्लेफूल बैटल फील्ड ना मिले। इंजीनियर राशिद ने दावा किया कि उनका वोट शेयर काफी ज्यादा होगा।
मोदी वाला पीस नहीं बल्कि असली शांति चाहिए
कश्मीर में शांति बहाली के प्रयासों से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि हमें मोदी वाला पीस नहीं बल्कि असली शांति चाहिए। उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला महबूबा मुफ़्ती इन सबको मुझसे डर है। महबूबा मुफ्ती को खुद जम्मूी-कश्मीर में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना चुकी हैं। उन्होंने कहा कि महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला केपास कोई मुद्दा नहीं है सिर्फ़ एक मुद्दा है कि इंजीनियर रशीद का घेराव करो।
मुझे 10-15 दिन और मिलने चाहिए थे
इंजीनियर राशीद ने कहा कि अगर हमें दस-पंद्रह दिन और मिल गए होते तो तस्वीर कुछ और होती। मैंने 18 दिन में कैंपेन किया और इनको साढ़े पांच साल में इन्होंने (पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस) कुछ नहीं किया दरअसल, इंजीनियर राशीद को सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत मिली थी। वे टेरर फंडिंग के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद थे।
सज्जाद लोन और अल्ताफ़ बुख़ारी से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे सज्जाद लोन और अल्ताफ़ बुख़ारी से कुछ लेना देना नहीं है जो मेरी विचारधारा के साथ आएगा उसका स्वागत है। ये तो मुझसे बात भी नहीं करते। उनको लगता है कहीं मोदी न पकड़ लें या एनआइए ना पकड़ ले।
जमात के साथ सुलह
वहीं जमात से जुड़े सवाल पर राशिद ने कहा कि जमात के साथ हम नहीं आए हैं लेकिन केवल सुलह हुआ है। हमने जमात से तीन मुद्दों पर बात की कि कोई भी वायलेंस नहीं होना चाहिए कोई पत्थरबाजी नहीं होनी चाहिए और लोगों के काम होना चाहिए। कश्मीर में बदलाव के सवाल पर उन्होंने कहा कि आप सड़कों पर सोना भी बिछा तो भी बदलाव तब तक नहीं आएगा जब तक आप कश्मीरियत की बात या फिर कोर इश्यू की बात नहीं करते
आतंकवाद ख़त्म करना है तो आतंकी मारने से नहीं होगा बल्कि उनके दिमाग़ से इसको हटाने से होगा। वहीं विदेश मंत्री एस जयसंकर के प्रस्तावित पाकिस्तान दौरे के बारे में उन्होंने कहा-' हम स्वागत करते हैं विदेश मंत्री के पाकिस्तान जाने का, लेकिन ये बातचीत शांति के लिए होना चाहिए तलवार चलाने के लिए नहीं।