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वक्फ बोर्ड के एक आदेश से जम्मू-कश्मीर में नया विवाद, विपक्षी दलों के नेताओं ने बोला हमला

नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने बीजेपी के नेतृत्व वाले वक्फ बोर्ड के आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि यह मुसलमानों के अधिकारों का उल्लंघन करने का एक स्पष्ट प्रयास है।

Reported By : Manzoor Mir Edited By : Sudhanshu Gaur Published on: September 01, 2023 22:10 IST
Jammu and Kashmir- India TV Hindi
Image Source : FILE वक्फ बोर्ड के एक आदेश से जम्मू-कश्मीर में नया विवाद

श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर में आजकल राजनितिक गतिविधियां तेज हो चली हैं। इसी बीच जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन डॉक्टर दरख्शां अंद्राबी के नए आदेश ने विवाद खड़ा कर दिया है। वक्फ बोर्ड की चेयरमैन ने नई शर्तों के तहत इमाम, खतीब और मुअज्जिन पद के लिए उम्मीदवारों से आवेदन मांगे हैं। आदेश के मुताबिक, वक्फ बोर्ड ने इमामों और खतीबों की नियुक्ति के लिए पात्रता मानदंड तय किए हैं। इमाम, खतीब और मुअज्जिन के लिए उम्मीदवारों के पास कम से कम 10वीं कक्षा की शिक्षा होनी चाहिए और सुन्नी हनफ़ी संस्थान से मौलवी-काज़ी कोर्स का प्रमाणपत्र होना चाहिए।वक्फ बोर्ड के इस नए आदेश से जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम धर्मस्थलों और मस्जिदों पर नियंत्रण को लेकर भाजपा और विपक्षी दलों के बीच बड़ी राजनीतिक टकराव की स्थिति बन रही है।

विपक्षी दलों ने बोला हमला 

नेशनल कॉन्फ्रेंस के सीनियर नेता अली मोहम्मद सागर ने इस आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा कि उम्मीदवार कौन होगा और वे क्या प्रचार करेंगे। सागर ने कहा, मज़हब में किसी भी तरह की कोई मदाखलत नहीं होनी चाहिए। ऐसे आदेश जारी करने से पहले मज़हबी रेहनामों से पहले सलाह लेनी चाहिए और फिर आदेश जारी करने चाहिए। वहीं पीडीपी के प्रवक्ता सुहैल बुखारी ने कहा कि इस आदेश से साफ़ है कि इससे ना सिर्फ मस्जिदों के मंचों और अभिव्यक्ति की आजादी को नियंत्रित करने का प्रयास है बल्कि धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप भी है। आरएसएस और बीजेपी हमेशा से हमारे मज़हब में दख़ल देते आये हैं और यह आदेश भी इसी का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि ऐसे आदेश जारी करने का मक़सद यही है की हमारी मस्जिदों के मेंबर से इमाम और खतीब बात करने से पहले बीजेपी और आरएसएस से अप्रूवल ले। 

 यह आदेश सूफी परंपराओं को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया- वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष

इन तमाम आरोपों का खंडन करते हुए जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉक्टर दरख्शां अंद्राबी का कहना है कि यह आदेश सूफी परंपराओं को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है और सभी नए इमाम उनकी शिक्षाओं का प्रचार और अभ्यास करेंगे। लेकिन अतीत और वर्तमान (धार्मिक विज्ञान) के इस ज्ञान के साथ इमामों को आधुनिक विषयों और प्रासंगिक क्षेत्रों के साथ अद्यतन होने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि परंपरागत रूप से कश्मीर में मस्जिदों और मस्जिदों के आसपास के कार्यवाहकों और मोहल्ला समितियों के इमामों, खतीबों और मुअज्जिनों की नियुक्ति में बड़ी भूमिका होती थी। हालांकि, वक्फ अपने आदेश पर आगे बढ़ रहा है और कहता है कि विपक्ष चाहे कुछ भी कहे, वांछित डिग्री और शिक्षा वाले नए इमाम और खतीब ही अब जम्मू-कश्मीर में मस्जिदों और दरगाहों में नमाज पढ़ाएंगे।

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