नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेता उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव एके मेहता के खिलाफ भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के एक दलित अधिकारी के आरोप इतने गंभीर हैं कि उनकी जांच होनी चाहिए। आईएएस अधिकारी ने मेहता पर परेशान करने और अनियमितता के आरोप लगाए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि इस तरह की जांच कभी नहीं होगी और मीडिया ने भी प्रकरण को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया।
"समाचार मीडिया ने इस प्रकरण की अनदेखी की"
उमर अब्दुल्ला ट्वीट किया, "आरोप इतने गंभीर हैं कि निष्पक्ष जांच कराए जाने की जरूरत है, लेकिन हम जानते हैं कि यह कभी नहीं होगा। अफसोस है कि समाचार मीडिया ने इस प्रकरण की पूरी तरह से अनदेखी की है। वे मिस वर्ल्ड और अन्य मनोरंजक कार्यक्रमों की कवरेज करने में लगे हुए हैं। विज्ञापनों से मिलने वाले पैसों का लोभ और पुलिस थानों की ओर से तलब किए जाने के डर ने प्रभावी रूप से उसे खामोश कर दिया है, जो कभी जम्मू-कश्मीर में एक जीवंत स्वतंत्र प्रेस हुआ करता था।"
"राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के समक्ष शिकायत"
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष एक राष्ट्रीय अखबार में आई एक रिपोर्ट का हवाल दे रहे थे, जिसमें कहा गया है कि आईएएस अधिकारी अशोक परमार ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के समक्ष एक शिकायत दायर की है। परमार 1992 बैच के एजीएमयूटी कैडर के अधिकारी हैं। उन्होंने शिकायत में आरोप लगाया है कि अनुसूचित जाति का होने और जम्मू-कश्मीर में जल शक्ति विभाग के जल जीवन मिशन में गड़बड़ियों को उजागर करने के चलते उनका बार-बार तबादला किया गया है।
अधिकारी अशोक परमार का क्या है आरोप?
अधिकारी ने केंद्रीय गृह सचिव को भी पत्र लिखकर यही आरोप लगाया है। पत्र में अशोक परमार ने आरोप लगाया है कि उन्हें दो उच्च-स्तरीय बैठकों से बाहर निकाल दिया गया और अन्य अधिकारियों के सामने अपमानित किया गया। परमार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे। उनको मार्च 2022 में एजीमयूटी कैडर में वापस भेज दिया गया। इसके बाद उन्हें प्रमुख सचिव सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण के रूप में तैनात किया गया। 5 मई 2022 को उनका तबादला कर उन्हें प्रमुख सचिव जल शक्ति विभाग के पद पर तैनात किया गया।
परमार के मुताबिक, विभाग में घोटालों का भंडाफोड़ करने के बाद उन्हें कुछ महीनों के भीतर एआरआई और प्रशिक्षण विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया था। 18 जुलाई को उनका तबादला कौशल विकास में कर दिया गया। दो सप्ताह से भी कम समय में 1 अगस्त को उन्हें फिर से सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो जम्मू-कश्मरी के अध्यक्ष के रूप में तैनात किया गया। प्रमुख सचिव एआरआई (प्रशासनिक सुधार, निरीक्षण और प्रशिक्षण) के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान परमार ने विभिन्न जिलों का दौरा करना शुरू कर दिया और विभिन्न विभागों के खिलाफ जांच भी शुरू की।