श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे और अजमेर दरगाह पर चादर भेजने की वार्षिक परंपरा जारी रखेंगे। अब्दुल्ला ने कहा, “आप धर्म को राजनीति से अलग नहीं कर सकते। हम कहते हैं कि चर्च को राज्य से अलग किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होता। धर्म के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं, धर्म के नाम पर राजनीति की जा रही है। यह एक सच्चाई है जिसे हमें स्वीकार करना चाहिए।” उन्होंने कहा, “हालांकि मुझे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री किसी दबाव में नहीं आएंगे और अजमेर दरगाह के लिए चादर भेजेंगे।”
PM मोदी हर साल भेजते हैं चादर
बता दें कि मोदी 2 जनवरी की शाम छह बजे केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को चादर सौंपेंगे। 813वें उर्स के मौके पर ये चादर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को चढ़ाई जाएगी। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी हर साल चादर भेजते हैं।
अब्दुल्ला ने कहा कि अजमेर दरगाह से विभिन्न समुदायों के सदस्यों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, “ऐसा नहीं है कि अजमेर दरगाह पर सिर्फ एक धर्म के लोग ही जाते हैं। मुसलमान तो जाते ही हैं, कई गैर-मुस्लिम भी दरगाह पर जाते हैं। इससे कई लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं।” उन्होंने कहा, “शुक्र है कि सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिदों के नीचे मंदिर खोजने की कोशिश करने वालों पर रोक लगा दी है। जब अदालत कोई समग्र निर्णय लेगा, तो वह सभी के लिए बाध्यकारी होगा।”
सोजनी टोपी क्यों पहनते हैं उमर?
यह पूछे जाने पर कि क्या पिछले कुछ वर्षों में उनके कपड़े पहनने के तरीके में आया बदलाव उनकी मुस्लिम पहचान को स्थापित करने के लिए है, अब्दुल्ला ने कहा कि वह व्यापक संदेश देने के लिए कपड़े नहीं पहनते हैं। अब्दुल्ला ने कहा, “मैं सुबह उठकर अपनी अलमारी यह सोचकर नहीं खोलता कि आज मैं क्या पहनूंगा या कोई संदेश देना है... मैं सोज़नी टोपी पहनता हूं क्योंकि यह मेरी विरासत का हिस्सा है। मैंने जम्मू में पगड़ी पहनी क्योंकि मैं सभी संस्कृतियों का सम्मान करता हूं। इससे मेरी आस्था कमजोर नहीं होती।”
उन्होंने कहा, “यदि कोई संदेश जा रहा है, तो मैं ऐसा जानबूझकर नहीं कर रहा हूं। मैं यह टोपी इसलिए पहनता हूं क्योंकि यह मुझे सूट करती है और मेरे सिर को गर्म रखती है, क्योंकि मेरे बाल पीछे की ओर खिसक रहे हैं। मैंने कराकुल टोपी पहनने की कोशिश की, लेकिन वह मुझे सूट नहीं करती।” एक सवाल के जवाब में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा कि सरकार को कश्मीर की धर्मनिरपेक्ष छवि पेश करने के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि घाटी के लोग यह काम खुद कर रहे हैं। (भाषा इनपुट्स के साथ)
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