श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की धरती एक बार भूकंप के तेज झटकों से हिल उठी। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 5 मापी गई है। जानकारी के मुताबिक भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान -ताजिकिस्तान सीमा क्षेत्र में था। भूकंप के झटके शाम 4 बजकर 19 मिनट पर महसूस किए गए। भूकंप आते ही लोगों में अफरा-तफरी मच गई और लोग घरों से बाहर निकल पड़े। ताजा जानकारी मिलने तक भूकंप के झटकों से जानमाल के किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है।
बता दें कि इससे पहले 13 नवंबर को भी जम्मू कश्मीर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर स्केल पर तीव्रता 5.2 मापी गई थी। हालांकि इस दौरान जान-माल को कोई नुकसान नहीं हुआ था। अधिकारियों ने बताया था कि भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान में था और यह सुबह दस बज कर 43 मिनट के आसपास महसूस किया गया था। कश्मीर घाटी में भूकंप के झटके महसूस होने के बाद लोगों में दहशत फैल गई थी और वे घरों से बाहर निकल आए थे।
प्लेट्स के टकराने से आता है भूकंप
दरअसल, धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, जिन्हें इनर कोर, आउटर कोर, मैन्टल और क्रस्ट कहा जाता है। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहा जता है। ये 50 किलोमीटर की मोटी परतें होती हैं, जिन्हें टैक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं, घूमती रहती हैं, खिसकती रहती हैं। ये प्लेट्स अमूमन हर साल करीब 4-5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। ये क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इस क्रम में कभी कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। इस दौरान कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। ऐसे में ही भूकंप आता है और धरती हिल जाती है। ये प्लेटें सतह से करीब 30-50 किमी तक नीचे हैं।
भूंकप का केंद्र और तीव्रता
भूकंप का केंद्र वह जगह होती है, जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा महसूस होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती है, इसका प्रभाव कम होता जाता है। इसकी तीव्रता का मापक रिक्टर स्केल होता है। रिक्टर स्केल पर यदि 7 या इससे अधिक तीव्रता का भूकंप आता है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर की तरफ होती है तो प्रभाव क्षेत्र कम होता है। भूकंप की जितनी गहराई में आता है, सतह पर उसकी तीव्रता भी उतनी ही कम महसूस की जाती है।
क्या है रिक्टर स्केल?
भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल किया जाता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है। भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के आधार पर मापता है। रिक्टर स्केल पैमाने को 1935 में कैलिफॉर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी में कार्यरत वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर ने बेनो गुटेनबर्ग के सहयोग से खोजा था। रिक्टर स्केल पर भूकंप की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 8 रिक्टर पैमाने पर आया भूकंप 60 लाख टन विस्फोटक से निकलने वाली ऊर्जा पैदा कर सकता है।